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31. योगसंन्यस्तकर्माएं मानसंचिन्नसंशयम्[(योगसंन्यस्तकर्माणम्) + (ज्ञान
संछिन्नसंशयम्)] योगसंन्यस्तकर्माणम्[[(योग)-(संनि-अस्-+संन्यस्त) भूक-(कर्मन्) 2/1] वि]. मानसंछिन्नसंशयम् [[(ज्ञान)-(सम्-छिद्+ संछिन्न)भूक-(संशय)2/1]विमात्मवन्तं न[(मात्मवन्तम्) + (न)] मात्मवर - प्रात्मवत्) 2/1 वि. न (म)= नहीं कर्माणि (कर्मन्) 1/3 निबध्नन्ति (
निबन्ध) व 3/3 सक धनञ्जय (धनञ्जय) 8/1. 52. संन्यासः (संन्यास) 1/1 कर्मयोगश्च [(कर्मयोगः) + (च)] कर्मयोगः
(कर्मयोग) 1/1. च (म)=ोर. निःश्रेयसकरावुभौ [(निःश्रेयसकरी) + (उभौ)] निःश्रेयसकरी (निःश्रेयसकर') 1/2 वि उभौ (उभ) 1/2 सवि. तयोस्तु [(तयोः) + (तु)] तयोः (तत्) 7/2 स. तु (म)=तो भी. कर्मसंन्यासात्कर्मयोगो विशिष्यते [ (कर्मसंन्यासात्) + (कर्मयोगः) + (विशिष्यते)] कर्मसंन्यासात् [ (कर्मन्+कर्म)- (संन्यास) 5/1]. कर्मयोगः (कर्मयोग) 1/1. विशिष्यते (वि-शिष्) व कर्म 3/1 सक. 53. सांख्ययोगौ [(सांख्य)-(योग) 212] पृथग्बालाः [(पृथक्) +
(बालाः)] पृथक् (अ)=भिन्न. बालाः (बाल) 1/3 वि. प्रवदन्ति (प्र-वद्) व 3/3 सक न (अ)= नहीं पण्डिताः (पण्डित) 1/3 वि एकमप्यास्थितः [(एक म्) + (अपि) + (प्रास्थितः)] एकम् (एक)2/1 सवि. अपि (प्र)== भी. आस्थितः (मा-स्था-+पास्थित) भूक 1/1. सम्यगुभयोविन्दते [(सम्यक्) + (उभयोः) + (विन्दते)] सम्यक् (अ)= पूर्णतः . उभयोः (उभय) 6/2 सवि. विन्दते (विद्) व 3/1 सक. फलम् (फल.) 2/1..
1. कर (वि): समास के पन्त में प्रयुक्त होता है।
चयनिका ]
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