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विहाय (वि-हा) पू जीर्णान्यन्यानि [(जीर्णानि) + (अन्यानि)] जीर्णानि . (जीर्ण) 2/3 वि. अन्यानि (अन्य) 2/3 वि. संयाति
(सं-या) व 3/1 सक नवानि (नव) 2/3 वि. देही (देहिन्) 1/1. 4. नैनं छिन्दन्ति [ (न) + (एनम्) + (छिन्दन्ति)] न (प्र)=नहीं. एनम्
(एन) 2/1 सवि. छिन्दन्ति (सिद्) व 3/3 सक शस्त्राणि (शस्त्र) 1/3 दहति (दह) व 3/1 सक पावकः (पावक) 1/1 न (अ)=नहीं चैनं क्लेदयन्त्यापो न [(च) + (एनम्) + (क्लेदयन्ति) + (मापः)+ (न)] च (म)=तथा. एनम् (एन)2/1 सवि. क्लेदयन्ति (क्लिद्-क्लेदय) व प्रे. 3/3 सक. प्रापः (अप्) 1/3. न (अ)= नहीं
शोषयति (शुष्-शोषय) व प्रे. 3/1 सक मारुतः (मारुत) 1/1 5. एषा (एतत्) 1/। सवि तेऽभिहिता . ] (ते) + (अभिहिता)] ते
(युष्मद्) 4/1 स. अभिहिता (अभि-धा-अभिहित-अभिहिता) भूक 1/1. साल्ये (सांख्य) 7/1 बुनिर्योगे [(बुद्धिः) + (योगे)] बुद्धिः (बुद्धि) 1/1. योगे (योग) 7/1 विमा शरण. [(तु) + (इमाम्) + (शणु)] तु (अ) =प्रब. इमाम् (इदम्)2/1 सवि गुण. (घ) प्राज्ञा . 2/1 सक बुखया (बुद्धि) 311 युक्तो यया [(युक्तः) + (यया)] युक्तः। (युज् - युक्त) भूक 1/1 यया (यत्) 3/1 स पार्थ (पार्थ)811 कर्मबन्धं प्रहास्यसि [(कर्मबन्धम्) + (प्रहास्यसि)]. कर्मबन्धम्
[(कर्म)-(बन्ध) 2/1] प्रहास्यसि (प्र-हा) भवि 2/1 सक. 6. नेहाभिकमनाशोऽस्ति [(न) + (इह) + (मभिक्रम) + (नाशः)+
(अस्ति)] न (म)= नहीं. इह (म)= यहां. [(अभिक्रम)-(नाश) 1/1] अस्ति (मस्) व 3/1 अक प्रत्यवायो न [(प्रत्यवायः) + (न)] 1. समास में या करण के साथ अर्थ होता है : सहित, भरा हुमा प्रादि ।
वयनिका
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