________________
संकेत-सूची
.
वि
(म) = अध्यय (इसका अर्थ
= लगाकर लिखा गया है)
अकर्मक क्रिया माझा = प्राज्ञा कर्म
कर्मवाच्य (क्रिवित्र) =
क्रिया विशेषण अव्यय (इसका अर्थ
लगाकर लिखा गया है)
॥ ॥ ॥ ॥ || ||
,
मूक . = भूतकालिक कृदन्त व = वर्तमानकाल व = वर्तमानकालिक कृदन
विशेषण विधि -
विधि . विषिक . = विधि कृदन्त स
सर्वनाम सकर्मक क्रिया
सर्वनाम विशेषण स्त्री = स्त्रीलिंग
हेत्वर्थ कृदन्त ( ) = इस प्रकार के
कोष्ठक में मूल - शब्द रक्खा गया
॥ ॥ ॥ ॥ ॥
तुलनात्मक विशेषण = पुल्लिग
पूर्वकालिक कृदन्त = प्रेरणार्थक क्रिया
भविष्यत्कालिक
कृदन्त
भविष्यत्काल भाववाच्य भूतकाल
[( +( )+( )......] इस प्रकार के कोष्ठक के पन्दर + चिह्न किन्हीं शब्दों में सन्धि का द्योतक है । यहाँ अन्दर के कोष्ठकों में श्लोक के शब्द ही रख दिये गये हैं।
-62 ]
[ गीता
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org