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32. एयग्गगदो समणो एयग्गं णिच्छिदस्स अत्थेसु। .
णिच्छित्ती आगमदो आगमचेट्ठा तदो जेट्ठा।।
एयग्गगदो
एकाग्रचित्त हुआ
समणो
श्रमण
स्थिर
एयग्गं णिच्छिदस्स
[(एयग्ग) वि-(गद)
भूकृ 1/1 अनि] (समण) 1/1 (एयग्ग) 2/1 वि (णिच्छिद) भूकृ 6/1+2/1 अनि (अत्थ) 7/2 (णिच्छित्ति) 1/1 (आगम) 5/1
निश्चित अवस्था को
अत्थेसु णिच्छित्ती आगमदो
पदार्थों में निश्चितता आगम के अध्ययन के कारण आगम के अध्ययन में
आगमचेट्ठा
[(आगम)-(चेट्ठा) 1/1]
प्रयास
अव्यय (जेट्ठा) 1/1 वि
इसलिए सर्वोत्तम
अन्वय- एयग्गगदो समणो अत्थेसु एयग्गं णिच्छिदस्स णिच्छित्ती आगमदो तदो आगमचेट्ठा जेट्ठा।
___ अर्थ- (जो) एकाग्रचित्त हुआ (है), (वह) श्रमण (है) (क्योंकि) (उसने) पदार्थों में स्थिर (और) निश्चित अवस्था को (प्राप्त किया है) (और) (यह) निश्चितता आगम के अध्ययन के कारण (हुई है)। इसलिए आगम के अध्ययन में प्रयास सर्वोत्तम (है)। 1. यहाँ छन्द की मात्रा की पूर्ति हेतु ‘आगमादो' का 'आगमदो' किया गया है। नोटः संपादक द्वारा अनूदित
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प्रवचनसार (खण्ड-3) चारित्र-अधिकार