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30. बालो वा बुड्डो वा समभिहदो वा पुणो गिलाणो वा।
चरियं चरदु सजोग्गं मूलच्छेदो जधा ण हवदि।।
बालो
बालक अथवा
बुड्ढो
समभिहदो
(बाल) 1/1 अव्यय (बुड्ड) 1/1 वि
अव्यय (समभिहद) 1/1 वि अव्यय अव्यय (गिलाण) 1/1 वि अव्यय (चरिय) 2/1 (चर) विधि 3/1 सक (स-जोग्ग) 1/1 वि (मूलच्छेद) 1/1 अव्यय
अथवा श्रम से थका हुआ अथवा फिर अशक्त/रोगी
पुणो गिलाणो
वा
चरियं
आचरण
चरदु
करे
सजोगं मूलच्छेदो जधा
अपने योग्य मूलगुण-भंग जिस तरह से नहीं होता है
अव्यय
हवदि
(हव) व 3/1 अक
अन्वय- बालो वा बुड्डो वा समभिहदो वा गिलाणो पुणो वा जधा मूलच्छेदो ण हवदि सजोगं चरियं चरदु।
__ अर्थ- (जो श्रमण) बालक अथवा वृद्ध अथवा श्रम से थका हुआ अथवा अशक्त/रोगी (हो) फिर भी (वह) जिस तरह से मूलगुण-भंग नहीं हो (उस तरह से) अपने योग्य आचरण करे।
प्रवचनसार (खण्ड-3) चारित्र-अधिकार