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समिद्ध समुट्ठिद
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भरा हुआ भूकृ अनि उचित प्रकार से भूकृ अनि प्रयत्नशील बिना भूकृ अनि
हीण
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कायव्व
विधि कृदन्त अब्भुट्टेय खड़े होकर सम्मान विधिक अनि 63
किये जाने योग्य उवासेय सेवा किये जाने विधिकृ अनि 63
योग्य किया जाना विधिकृ
चाहिये पणिवदणीय प्रणाम किये जाने विधिकृ
योग्य विसेसिदव्व विशेष किया विधिकृ
जाना चाहिये
वर्तमान कृदन्त अविजाणंत न जानता हुआ वकृ परिहरमाण टालता हुआ वकृ सद्दहमाण श्रद्धा करता हुआ वक सेवमाण उपभोग करता वक
हुआ
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प्रवचनसार (खण्ड-3) चारित्र-अधिकार