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48. आगासमणुणिविटुं आगासपदेससण्णया भणिदं।
सव्वेसिं च अणूणं सक्कादि तं देदुमवगासं।।
आकाश
परमाणु से नियंत्रित/ रोका हुआ आकाश-प्रदेश नाम से कहा गया
भणिदं
आगासमणुणिविट्ठ [(आगासं)+(अणुणिविट्ठ)]
आगासं (आकाश) 1/1 [(अणु)-(णिविठ्ठ)
भूकृ 1/1 अनि] आगासपदेससण्णया [(आगास)-(पदेस)
(सण्णया) 3/1अनि]
(भण-भणिद) भूकृ 1/1 सव्वेसिं (सव्व) 4/2 सवि
अव्यय अणूणं (अणु) 4/2 सक्कादि
(सक्क) व 3/1 अक
(त) 1/1 सवि देदुमवंगासं [(देहूँ)+(अवगासं)]
देहूँ (दे) हेकृ - अवगासं (अवगास) 2/1
सब
और परमाणुओं के लिए समर्थ होता है वह
देने के लिए अवकाश
- अन्वय- अणुणिविटुं आगासं आगासपदेससण्णया भणिदं च तं सव्वेसिं अणूणं अवगासं देवं सक्कादि।
अर्थ- परमाणु से नियंत्रित/रोका हुआ (जो) आकाश (द्रव्य) (है), (वह) आकाश (एक) प्रदेश नाम से कहा गया (है) और वह (आकाश-प्रदेश) सब परमाणुओं के लिए अवकाश देने के लिए समर्थ होता है।
1.
वर्तमानकाल के प्रत्ययों के होने पर कभी-कभी अन्त्यस्थ 'अ' के स्थान पर 'आ' हो जाता है। (हेम-प्राकृत-व्याकरणः 3-158 वृत्ति)।
प्रवचनसार (खण्ड-2)
(63)
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