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• 47. वदिवददो तं देसं तस्सम समओ तदो परो पुव्वो।
जो अत्थो सो कालो समओ उप्पण्णपद्धंसी।।।
मंदगति से चलनेवाला इसलिए प्रदेश में
उसके समान • 'समय उससे
समओ
तदो
आगे
वदिवददो (वदिवदद) 1/1 वि
अव्यय देसं
(देस) 2/1 तस्सम(मूल शब्द) (तस्सम) 1/1 वि अनि
(समअ) 1/1 अव्यय (पर) 1/1 वि . (पुव्व) 1/1 वि
(ज) 1/1 सवि अत्थो (अत्थ) 1/1
(त) 1/1 सवि कालो
(काल) 1/1 समओ (समअ) 1/1 उप्पण्णपद्धंसी [(उप्पण्ण) भूकृ अनि-
(पद्धंसी) 1/1 वि]
पहले
पुव्वो जो
.
जो
पदार्थ
वह
,
काल समय-पर्याय उत्पन्न और नाशवान
अन्वय- तं देसं वदिवददो समओ तस्सम तदो पुव्वो परो जो अत्थो सो कालो समओ उप्पण्णपद्धंसी।
अर्थ- इसलिए (आकाश के) प्रदेश में मंदगति से चलनेवाला (परमाणु) (जो गमन अवधि लेता है) (वह) समय (है) (जो) उस (परमाणु) के समान (एक प्रदेशी) (है) उससे पहले (और) आगे जो (आधारभूत) पदार्थ है, वह काल (द्रव्य) (है)। (उसकी) समय-पर्याय उत्पन्न (होती है) और नाशवान (होती है)।
1.
कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम-प्राकृत-व्याकरणः 3-137)
(62)
प्रवचनसार (खण्ड-2)
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