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35. दव्वं जीवमजीवं जीवो पुण चेदणोवजोगमओ।
पोग्गलदव्वप्पमुहं अचेदणं हवदि अज्जीवं।।..
द्रव्य
१)
जीव जीव से वियुक्त जीव फिर
दव्वं
(दव्व) 1/1 जीवमजीवं [(जीवं)+(अजीवं)]
जीवं (जीव) 1/1
अजीवं (अजीव) 1/1 वि जीवो (जीव) 1/1 पुण
अव्यय चेदणोवजोगमओ [(चेदणा)+ (उवजोगमओ)]
[(चेदणा)-(उवजोगमअ)
1/1 वि] पोग्गलदव्वप्पमुहं [(पोग्गल)-(दव्वप्पमुह)
1/1 वि] अचेदणं
(अचेदण) 1/1 वि हवदि
(हव) व 3/1 अक अज्जीवं
(अज्जीव) 1/1 वि
चेतनामय और उपयोगमय पुद्गल द्रव्य-सहित
चेतना-रहित होता है अजीव
अन्वय- दव्वं जीवमजीवं पुण जीवो चेदणोवजोगमओ पोग्गलदव्वप्पमुहं अज्जीवं अचेदणं हवदि।
अर्थ- द्रव्य जीव और जीव से वियुक्त (अजीव) (दो प्रकार का है)। फिर (इन दोनों में से) जीव (द्रव्य) चेतनामय और उपयोगमय (भावरूप) (है) (तथा) पुद्गल द्रव्य-सहित अजीव (द्रव्य-समूह) चेतना-रहित होता है।
(50)
प्रवचनसार (खण्ड-2)
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