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34. कत्ता करणं कम्मं फलं च अप्प त्ति णिच्छिदो समणो।
परिणमदि णेव अण्णं जदि अप्पाणं लहदि सुद्ध।।
कत्ता करणं
कम्म
कर्म
फलं
फल
और
अप्प त्ति
EEEEEEEEER
णिच्छिदो समणो परिणमदि णेव
(कत्तु) 1/1 वि
करनेवाला (करण) 1/1
साधन (कम्म) 1/1 (फल) 1/1 अव्यय [(अप्पा) + (इति)] अप्पा (अप्प) 1/1
आत्मा इति (अ) = इस प्रकार इस प्रकार (णिच्छ--णिच्छिद) भूकृ 1/1 निश्चय किया हुआ (समण) 1/1
श्रमण (परिणम) व 3/1 सक अपनाता है अव्यय .
नहीं (अण्ण) 2/1 सवि
अन्य को अव्यय (अप्पाण) 2/1
आत्मा को (लह) व 3/1 सक प्राप्त कर लेता है (सुद्ध) 2/1 वि. शुद्ध
अण्णं
यदि
जदि अप्पाणं लहदि
अन्वयं- कत्ता करणं कम्मं च फलं अप्प त्ति णिच्छिदो समणो . जदि अण्णं णेव परिणमदि सुद्धं अप्पाणं लहदि।
अर्थ- (जो) करनेवाला (है), (जो) (करने का) साधन (है), (जो) कर्म (किया जाय) और (जो कर्म करने का) फल (है) (वह) आत्मा (है)। इस प्रकार निश्चय किया हुआ श्रमण यदि (इससे) अन्य (दृष्टि) को नहीं अपनाता (है) (तो) (वह) शुद्धात्मा को प्राप्त कर लेता (है)।
प्रवचनसार (खण्ड-2)
(49)
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