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31. परिणमदि चेदणाए आदा पुण चेदणा तिधाभिमदा।
सा पुण णाणे कम्मे फलम्मि वा कम्मणो भणिदा।।
परिणमदि
चेदणाए
आदा पुण चेदणा तिधाभिमदा
परिणमन करता है चेतना के रूप में आत्मा
और . • चेतना .. . तीन प्रकार की मानी गई ..
(परिणम) व 3/1 अक (चेदणा) 7/1 (आद) 1/1 अव्यय (चेदणा) 1/1 [(तिधा)+(अभिमदा)] [(तिधा) अ-(अभिमदा). भूकृ 1/1 अनि] (ता) 1/1 सवि अव्यय (णाण) 7/1 (कम्म) 7/1 (फल) 7/1 अव्यय (कम्मणो) 6/1 अनि (भण-भणिद-भणिदा) भूकृ 1/1
ज्ञान में
कम्मे फलम्मि
वा
फल में
और कर्म के कही गई
कम्मणो भणिदा
अन्वय- आदा चेदणाए परिणमदि पुण सा चेदणा तिधाभिमदा पुण णाणे कम्मे वा कम्मणो फलम्मि भणिदा।
___ अर्थ- आत्मा चेतना के रूप में परिणमन करता है और वह चेतना तीन प्रकार की मानी गई (है)। (वह) फिर ज्ञान में (हो) (तो) (ज्ञान चेतना), कर्म में (हो) (तो) (कर्म चेतना) और कर्म के फल में (हो) (तो) (कर्मफल चेतना) कही गई (है)।
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प्रवचनसार (खण्ड-2)
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