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21. मणुवो ण हवदि देवो देवो वा माणुसो व सिद्धो वा।
एवं अहोज्जमाणो अणण्णभावं कधं लहदि।।
मणुवो
नहीं
हवदि
देवो
माणुसो
(मणुव) 1/1
मनुष्य अव्यय (हव) व 3/1 अक होता है (देव) 1/1
देव (देव) 1/1
देव अव्यय
तथा (माणुस) 1/1
मनुष्य अव्यय
पादपूर्ति (सिद्ध) 1/1 अव्यय
या अव्यय ।
इस प्रकार (अहोज्ज) वकृ 1/1 न होता हुआ [(अणण्ण) वि-(भाव) 2/1] अभिन्न भाव को अव्यय
कैसे (लह) व 3/1 सक प्राप्त करता है (करेगा)
सिद्ध
सिद्धो वा .
एवं
अहोज्जमाणो अणण्णभावं कधं
लहदि
__ अन्वय- मणुवो देवो ण हवदि वा देवो माणुसो वा सिद्धो एवं अहोज्जमाणो अणण्णभावं कधं लहदि व।
अर्थ- (पर्यायदृष्टि से) मनुष्य देव नहीं होता है तथा देव मनुष्य या सिद्ध (नहीं) (होता है)। इस प्रकार न होता हुआ (एक पर्याय से दूसरी पर्याय में) अभिन्न भाव को कैसे प्राप्त करेगा?
1. प्रश्नवाचक शब्दों के साथ वर्तमानकाल का प्रयोग प्रायः भविष्यत्काल के अर्थ में होता है।
प्रवचनसार (खण्ड-2)
(35)
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