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15. सद्दव्वं सच्च गुणो सच्चेव य पज्जओ त्ति वित्थारो।
जो खलु तस्स अभावो सो तदभावो अतब्भावो।।
सद्दव्वं सच्च गुणो सच्चेव
गुण
(सद्दव्वं) 1/1 अनि विद्यमान द्रव्य (सच्च) 1/1 वि अनि और विद्यमान (गुण) 1/1 [(सच्च)+ (एव)] सच्च (सच्च) 1/1 वि अनि और विद्यमान एव (अ) = भी अव्यय
और [(पज्जओ)+ (इति)] पज्जओ (पज्जाअ-पज्जअ) पर्याय
पज्जओ त्ति
1/1
इस प्रकार विस्तार
वित्थारो जो खलु तस्स अभावो
इति (अ) = इस प्रकार (वित्थार) 1/1 (ज) 1/1-सवि अव्यय (त) 6/1 सवि (अभाव) 1/1 (त) 1/1 सवि (तदभाव) 1/1 (अतब्भाव) 1/1
निश्चय ही उसका न होना वह
सो
तादात्म्य
तदभावो अतब्भावो
तादात्म्य का अभाव
अन्वय- सहव्वं गुणो सच्च य पज्जओ त्ति एव सच्च वित्थारो जो तस्स तदभावो अभावो सो खलु अतब्भावो।
अर्थ- द्रव्य ‘विद्यमान' (है) और गुण 'विद्यमान' (है) और पर्याय भी 'विद्यमान' (है)। इस प्रकार (विद्यमान/सत्ता का) विस्तार (है)। जो उस (द्रव्यगुण-पर्याय) का और (सत्ता का) तादात्म्य न होना (है) (वह) निश्चय ही तादात्म्य का अभाव (है) अर्थात् अन्यत्व है।
प्रवचनसार (खण्ड-2)
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