________________
94. स इदाणिं कत्ता सं सगपरिणामस्स दव्वजादस्स।
आदीयदे कदाई विमुच्चदे कम्मधूलीहिं।।
कत्ता
स्स
(त) 1/1 सवि वह इदाणिं अव्यय
इस संसार में (कत्तु) 1/1 वि
कर्ता अव्यय
निस्संदेह सगपरिणामस्स [(सग) वि-(परिणाम) 6/1] स्व-संबंधी परिवर्तन/
भाव का दव्वजादस्स [(दव्व)-(जाद). पुद्गल कर्म से उत्पन्न
भूक 6/1] आदीयदे (आदा+ईय) व कर्म 3/1 पकड़ा जाता है कदाई
अव्यय विमुच्चदे (विमुच्चदे) व कर्म 3/1 अनि छोड़ दिया जाता है कम्मधूलीहिं.. [(कम्म)-(धूलि) 3/2] कर्मधूलि से
कभी
अन्वय- स इदाणिं दव्वजादस्स सगपरिणामस्स सं कत्ता कदाई कम्मधूलीहिं आदीयदे विमुच्चदे।
अर्थ- वह (कर्म से युक्त आत्मा) इस (आवागमनात्मक) संसार में पुद्गल कर्म से उत्पन्न हुए स्व-संबंधी परिवर्तन/भाव का निस्सन्देह कर्ता (है) (तथा वह) कभी कर्मधूलि से पकड़ा जाता है (और) (किसी समय में) छोड़ दिया जाता है।
प्रवचनसार (खण्ड-2)
प्रवचन
(109)
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org