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89. सुहपरिणामो पुण्णं असुहो पाव त्ति भणियमण्णेसु।
__ परिणामो णण्णगदो दुक्खक्खयकारणं समये।।
सुहपरिणामो पुण्णं
पुण्य
असुहो
अशुभ ..
पाव त्ति
भणियमण्णेसु
[(सुह) वि-(परिणाम) 1/1] शुभपरिणाम (पुण्ण) 1/1 (असुह) 1/1 वि [(पावो)+ (इति)] पावो (पाव) 1/1 वि पाप इति (अ) =
पादपूरक [(भणिय) + (अण्णेसु)] भणियं (भण-भणिय) कहा गया भूकृ 1/1 अण्णेसु (अण्ण) 7/2 सवि पर के प्रति (परिणाम) 1/1 परिणाम [(ण) अ-(अण्ण) सवि- पर में नहीं (गद) भूकृ 1/1 अनि गया हुआ [(दुक्ख)-(क्खय)- दुःख के नाश (कारण) 1/1]
का कारण (समय) 7/1
आगम में
परिणामो णण्णगदो
दुक्खक्खयकारणं
समये
अन्वय- अण्णेसु सुहपरिणामो पुण्णं असुहो पाव त्ति परिणामो णण्णगदो समये दुक्खक्खयकारणं भणियं।
अर्थ- पर के प्रति (जो) शुभ परिणाम (है) (वह) पुण्य (है), (जो) अशुभ (परिणाम) (है) (वह) पाप (है)। (तथा) (जो) (परिणाम) पर में गया हुआ नहीं (है) (वह) आगम में दुःख के नाश का कारण कहा गया (है)।
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प्रवचनसार (खण्ड-2)
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