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36. तम्हा णाणं जीवो णेयं दव्वं तिहा समक्खादं।
दव्वं ति पुणो आदा परं च परिणामसंबद्ध।।.
इसलिए
तम्हा णाणं जीवो
दव्वं
ज्ञान जीव ज्ञेय द्रव्य ... तीन प्रकार से कहा गया
तिहा
अव्यय (णाण) 1/1 (जीव) 1/1 (णेय) विधिकृ 1/1 अनि . (दव्व) 1/1
अव्यय (समक्खाद) भूकृ 1/1 अनि [(दव्व)+ (इति)] दव्वं (दव्व) 1/1 इति (अ) = अव्यय (आद) 1/1 (पर) 1/1 वि
समक्खादं दव्वं ति
द्रव्य पादपूरक फिर
पुणो आदा
आत्मा
अन्य
पर
अव्यय
परिणामसंबद्धं
[(परिणाम)-(संबद्धं) भूकृ 1/1 अनि]
और परिणमन से पूर्णतः निर्मित
अन्वय- तम्हा जीवो णाणं दव्वं णेयं तिहा समक्खादं पुणो आदा च परं दव्वं ति परिणामसंबद्ध।
अर्थ- इसलिए जीव ज्ञान (है)। द्रव्य ज्ञेय (है), (जो) (द्रव्य) (है) (वह) तीन प्रकार (उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य) से कहा गया (है)। फिर (वह) आत्मा
और अन्य द्रव्य परिणमन से पूर्णतः निर्मित (द्रव्य) (है) अर्थात् (परिणमन को द्रव्य से अलग नहीं किया जा सकता है)।
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प्रवचनसार (खण्ड-1)
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