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.32. गेण्हदि णेव ण मुंचदि ण परं परिणमदि केवली भगवं।
पेच्छदि समंतदो सो जाणदि सव्वं णिरवसेसं।।
.
गेण्हदि
m
(गेण्ह) व 3/1 सक अव्यय अव्यय (मुंच) व 3/1 सक
ग्रहण करता है न ही
न . . ... छोड़ता है
मुंचदि
अव्यय
15.5*11111
परं
परिणमदि केवली भगवं पेच्छदि समंतदो
(पर) 2/1 वि (परिणम) व 3/1 सक (केवलि) 1/1 वि (भगवन्त) 1/1 (पेच्छ) व 3/1 सक अव्यय
पर को बदलता है केवली भगवान देखता है सब और से/ चारों तरफ से वह जानता है . समस्त (पदार्थों) को शेषरहित
जाणदि सव्वं
(त) 1/1 सवि . (जाण) व 3/1 सक (सव्व) 2/1 सवि (णिरवसेस) 2/1 वि
णिरवसेसं
अन्वय- केवली भगवं परं ण गेण्हदि ण मुंचदि णेव परिणमदि सो णिरवसेसं सव्वं समंतदो जाणदि पेच्छदि।
. अर्थ- केवली भगवान पर (वस्तु) को न ग्रहण करते हैं, न छोड़ते हैं, न ही (उसको) बदलते हैं। वे शेषरहित समस्त (पदार्थों) को सब ओर से जानतेदेखते हैं।
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प्रवचनसार (खण्ड-1)
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