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20. सोक्खं वा पुण दुक्खं केवलणाणिस्स णत्थि देहगदं।
जम्हा अदिदियत्तं जादं तम्हा दु तं णेयं।।
सोक्खं
सुख
वा
पुण
दुक्खं
केवलणाणिस्स णत्थि
देहगदं
(सोक्ख) 1/1 अव्यय
या अव्यय
और . (दुक्ख) 1/1
__.. दुःख (केवलणाणि) 4/1 वि . केवलज्ञानी के लिये [(ण)+ (अत्थि )] ण (अ) = नहीं
नहीं अत्थि (अ) = है [(देह)-(गद) भूक
शरीर पर 1/1 अनि]
आश्रित अव्यय
क्योंकि (अदिदियत्त) 1/1 अतीन्द्रियता (जा) भूकृ 1/1 . उत्पन्न हुई अव्यय
इसलिए अव्यय
पादपूरक (त) 1/1 सवि (णेय) विधिकृ 1/1 अनि जानने योग्य
जम्हा अदिदियत्तं जाद
तम्हा
Al. 6
वह
S
अन्वय- पुण केवलणाणिस्स देहगदं सोक्खं वा दुक्खं णत्थि जम्हा अदिदियत्तं जादं तम्हा दु तं णेयं।
अर्थ-और केवलज्ञानी के लिये शरीर पर आश्रित सुख या दुःख (ध्यातव्य) नहीं है, क्योंकि अतीन्द्रियता उत्पन्न हुई (है), इसलिए वह जानने योग्य (है)।
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प्रवचनसार (खण्ड-1)
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