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19. पक्खीणघादिकम्मो अणंतवरवीरिओ अधिकतेजो।
जादो अणिंदिओ सो णाणं सोक्खं च परिणमदि।।
नष्ट किया गया घातिया कर्म शाश्वत श्रेष्ठ सामर्थ्यवाला प्रचुर-कान्तिवाला
पक्खीणघादिकम्मो [(पक्खीण) भूक अनि
(घादिकम्म) 1/1] अणंतवरवीरिओ {[(अणंत) वि-(वर) वि-
(वीरिअ) 1/1] वि} अधिकतेजो {[(अधिक) वि (तेज)
1/1] वि}
(जा) भूकृ 1/1 अणिदिओ (अणिंदिअ) 1/1 वि
(त) 1/1 सवि णाणं
(णाण) 2/1 सोक्खं
(सोक्ख) 2/1
अव्यय परिणमदि (परिणम) व 3/1 सक
जादो
हुआ अतीन्द्रिय
(नि
सो .
वह
ज्ञान
सुख
और प्राप्त करता है ।
अन्वय- पक्खीणघादिकम्मो अणंतवरवीरिओ अधिकतेजो अदिदिओ जादो सो णाणं च सोक्खं परिणमदि। ___अर्थ- (जिसके द्वारा) घातिया कर्म नष्ट किया गया (है), (जो) शाश्वत (है), श्रेष्ठ-सामर्थ्यवाला (है), (जो) प्रचुर-कान्तिवाला (है), (जो) अतीन्द्रिय हुआ (है), वह (स्वयंभू आत्मा) ज्ञान (केवलज्ञान) और (अनन्त) सुख को प्राप्त करता है। ..
प्रवचनसार (खण्ड-1)
(31)
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