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4. किच्चा अरहताणं सिद्धाणं तह णमो गणहराणं।
अज्झावयवग्गाणं साहूणं चेव सव्वेसि।।
किच्चा (किच्चा) संकृ अनि करके अरहंताणं (अरहत) 4/2
अरिहंतों को सिद्धाणं (सिद्ध) 4/2 वि सिद्धों को तह अव्यय
तथा.. णमो अव्यय
नमस्कार गणहराणं (गणहर) 4/2 गणधरों को अज्झावयवग्गाणं' [(अज्झावय)-(वग्ग)] 4/2. अध्यापक वर्ग को साहूणं (साहू) 4/2
साधुओं को [(च)+(एव)] च (अ) = और .
और एव (अ) = ही
ही सव्वेसिं
(सव्व) 4/2 संवि सभी अन्वय-अरहंताणं सिद्धाणं गणहराणं अज्झावयवग्गाणं तह सव्वेसिं साहूणं णमो किच्चा चेव।
अर्थ- अरिहंतों को, सिद्धों को, गणधरों (आचार्यों) को, अध्यापक (उपाध्याय) वर्गको तथा सभी साधुओं को नमस्कार करके और............
वेव
ही
1. 2.
णमो' के योग में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है। यहाँ 'गणहर' शब्द आचार्य विशेष का वाचक है। यहाँ 'अज्झावय' शब्द उपाध्याय का वाचक है।
(14)
प्रवचनसार (खण्ड-1)
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