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भाग जिसमें सुरपुष्प वृष्टि प्रदर्शित है, वर्द्धमान की मूर्ति । इस प्रकार यह स्थान महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
(4) गंधर्वसेन का मंदिर : इस मंदिर में एक प्रस्तर खंड पर पार्श्वनाथ को उपसर्ग के बाद केवलज्ञान प्राप्ति का दृश्य अंकित है। यह प्रस्तर खण्ड दसवीं शताब्दी से पूर्व और परवर्ती गुप्तकालीन विदित होता है।
राजगढ़ नगर से पूर्व में 14 किलोमीटर की दूसरी पर स्थित कालीपीठ ग्राम भी अपने गर्भगृह में उल्लेखनीय पुरातात्विक अवशेष छिपाये हुए है। यहां प्राप्त जैनधर्म संबंधी अवशेषों का विवरण इस प्रकार है:
कालीपीठ राजगढ़ सड़क से गांव में प्रवेश करते ही मार्ग में दाहिनी ओर एक खेत में विशालकाय जैन प्रतिमाओं के भग्नावशेष पड़े हुए हैं। इसके आसपास तीन बावड़ियां बनी हुई हैं। निकट ही भग्न मंदिर के स्तम्भावशेष पड़े हुए हैं। इन्हें देखकर लगता है कि कभी यहां एक विशाल मंदिर इस भू-भाग पर रहा होगा। खेत में पड़ी हुई जैन मूर्तियों में से एक मूर्ति 118 इंच लम्बी 32 इंच चौड़ी तथा 18 इंच मोटी है। इसकी दोनों भुजाएं खण्डित है। इसके दोनों ओर ढाई फुट ऊंची दो चवरधारियों की मूर्तियां हैं। मूर्ति के ऊपरी भाग में दो हाथी भी अंकित हैं। महावीर की दूसरी मूर्ति 70 इंच लम्बी तथा प्रथम मूर्ति के सदृश ही है। ये दोनों मूर्तियां तथा समीप में पड़े हुए स्तम्भावशेष उस युग की याद दिलाते हैं जबकि हिन्दू, बौद्ध तथा जैन मंदिरों में कोई अन्तर नहीं रह गया था। इन तीनों धर्मों की मूर्तियों और मंदिरों के शिल्प एक समान थे। खुदाई करने पर किसी भी पुरातत्ववेत्ता द्वारा मंदिर के अवशेष तथा स्थान की प्राचीनता के अन्य कई तथ्यों को प्रकाश में लाया जा सकता है। कालीपीठ में जैन प्रभुत्व 12वीं सदी के अन्त तक तो रहा ही होगा ।
गुना जिले के ग्राम बजरंगगढ़ स्थित दिगम्बर जैन मंदिर" के महत्त्व को इस प्रकार प्रतिपादित किया जा सकता है:
यह मंदिर मूलतः नागर शैली का पंचायतन मंदिर रहा होगा। खजुराहों, ऊमरी, देवगढ़, अहार, बानपुर आदि की तरह इसका निर्माण भी पाषाण से हुआ होगा और शिखर संयोजना कभी इसकी धवलकीर्ति पताका से अलंकृत रही होगी। बाद में इसका शिखर नष्ट हो जाने पर मंदिर के उसी अधिष्ठान पर वर्तमान गुम्बद शिखर सहित आज से लगभग दो सौ वर्ष पूर्व इस मंदिर का जीर्णोद्धार या पुनः निर्माण हुआ होगा ।
धरातल से लगभ 15 फुट तक का मंदिर का अधिष्ठान आज भी अपनी अपरिवर्तित अवस्था में देखा जा सकता है। मंदिर की छत तथा द्वार का ऊपरी
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