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हैं जिनकी उत्पत्ति मालवा में हुई। प्रमाणतः समस्त जैन जातियों का उत्पत्ति स्थान राजपूताना तथा मालवा रहे हैं। दूसरे जितनी भी प्रमुख जैन जातियां हैं, उनकी उत्पत्ति कोई चामत्कारिक घटना के पश्चात् बताई गई है। अब. मालवा में सभी प्रकार की जैन जातियों के व्यक्ति निवास करतें हैं, जो अपने-अपने व्यापार व्यवसाय में लगे हैं। कई वंश प्रदेश के आर्थिक विकास में अपना सहयोग प्रदान कर रहे हैं। जैन जाति के व्यक्ति पर्याप्त धनाढ्य तथा भूमिपति एवं उद्योगपति हैं। प्राचीनकाल में भी हम इनकी समपन्नता पाते हैं जो व्यापार के साथ-साथ उच्च पदों पर आसीन होकर प्रदेश का गौरव बढ़ा रहे थे। साथ ही इस जाति के प्राचीनकाल में बड़े-बड़े विद्वान भी हो चुके हैं, जिनका जन्मजात सम्बन्ध मालवा से ही रहा है।
__ संदर्भ सूची 1 ओसवाल जाति का इतिहास, पृ.18 | Survey, Page 94 2 वही, पृ.18-19
19 पोरवाल वणिकों के इतिहास, पृ.7-11, 3 जैन सम्प्रदाय शिक्षा, पृ.656 । सी.एम.दलाल 4 जैन भारती व्हा.9. नं.11. 20 जैन पुस्तक प्रशस्ति संग्रह - जिनविजय, 5 जैन जाति महोदय, प्रथम खण्ड, पृ.25, पृ.24, 43, 44, 46, 47.70. 114 और 26,27
141 6 Jain Community - A Social| 21 Jain Com m unity • A Social Survey, Page 90
Survey, Page 94 7 Ibid, Page 91
22 पोरवाड़ महाजनों का इतिहास, पृ.7,84 8 Ibid, Page 91
से 88, 90, 91 व 133 9 Ibid, Page 91
23 Jain Community : A Social 10 जैन जाति महोदय, अध्याय 4, पृ.92-| Survey, Page 96 100
| 24 गुरु गोपालदास बरैया स्मृति ग्रंथ, पृ.50 11 काठियावाड़ के दसा श्रीमाली जैन बनिये, 25 Jain Community . A Social पृ.41-52
Survey, Page 97 12 वही, पृ. 109-110
26 Ibid, Page 98 13 जैन जाति महोदय, प्रथम खण्ड, पृ.99 /27 अग्रवाल जाति का प्रामाणिक इतिहास, 14 वही, पृ.54
| पृ.1 से 4 15 Bombay Gazetteer, Vol. IV, Part- 28 Jain Community - A Social ___I,Page 97-98
Survey, Page 8.7 16 जैन जाति महोदय, प्रथम खण्ड, पृ.283| 29 Ibid, Page 97 17 वही, परि.2, पृ.91
30 जैन सिद्धांत भास्कर, अंक-1, पृ.128 18 Jain Community - A Social 31 Jainism in Rajasthan, Page 102
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