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है तथा भूरिया गोत्र की देवी महिकावती है। ये नाम जैनधर्म के स्वीकार करने के पहले के होना चाहिये। यह स्पष्ट ही है, क्योंकि जैन शासन देवियों में ये नाम नहीं पाये जाते।
मालवा में इस जाति के लोगों के आगमन का वृतांत 12वीं सदी में मिलता है। सुप्रसिद्ध जैन विद्वान पं.आशधर, जो मोहम्मद गौरी के आक्रमणों से त्रस्त होकर 12वीं शताब्दी में मांडलगढ़ छोड़कर मालवा के मांडवगढ़ में आये थे, बघेरवाल जाति के ही थे।45 डॉ.के.सी.जैन ने इस जाति के 7 गोत्र बताये हैं।46
इस प्रकार यह स्पष्ट हो जाता है कि बघेरवाल जाति 12वीं शताब्दी से मालवा में विद्यमान है। पं.आशाधर ने जैन साहित्य के विविध अंगों को जो देन दी है वह आज सभी जानते हैं। ___(10) नरसिंहपुरा : यह जाति दिगम्बर मतावलम्बियों में पाई जाती है। ऐसा कहते हैं कि कुछ दिगम्बर जैन साधु जैनधर्म के प्रचारार्थ भ्रमण करते हुए मेवाड़ के नरसिंहपुरा नामक गांव में गये और इनके उपदेश से प्रभावित होकर वहां के निवासियों ने जैनधर्म स्वीकार कर लिया। गांव के नाम पर जाति का नाम नरसिंहपुरा पड़ा। इसके अतिरिक्त अन्य कोई उल्लेखनीय तथ्य इस जाति के सम्बन्ध में उपलब्ध नहीं।
(11) जैसवाल : यह जाति भी दिगम्बर मतावलम्बियों में ही पाई जाती है। इसकी उत्पत्ति जैसलमेर से मानी जाती है। इसके सम्बन्ध में भी यही कहा जाता है कि दिगम्बर जैन साधुओं के प्रभाव से जैनधर्म स्वीकार कर लिया और स्थान के नाम पर जैसवाल जाति बन गई। इसके अतिरिक्त और कोई विशेष जानकारी इस जाति के सम्बन्ध में प्राप्त नहीं होती है।। वैसे इस जाति के व्यक्ति मालवा एवं राजस्थान में पाये जाते हैं तथा समाज में अपना स्थान भी अच्छा रखते हैं। किन्तु जिस प्रकार अन्य जैन जातियों का विशिष्ट इतिहास मिलता है उस प्रकार इस जाति का कोई विशिष्ट छोड़कर सामान्य इतिहास भी उपलब्ध नहीं है। कलाल जाति के जायसवाल अपने को अवध के 'जायस गांव के निवासी मानते हैं जहां के पद्मावत के रचयिता सूफी कवि मलिक मुहम्मद जायसी थे।
(12) चित्तौड़ा जाति : इस जाति की उत्पत्ति चित्तौड़ से हुई है और सम्भवतः मध्यकाल में उसका उदय हुआ। इस जाति के व्यक्ति धार्मिक स्वभाव के होते हैं। साथ ही वे धार्मिक पुस्तकें भी लिखा करते हैं और अपने आचार्यों को भेंट करते रहते हैं। इस जाति के लोगों ने कई मंदिरों का निर्माण करवाया तथा कई स्थानों पर मूर्तियों की प्रतिष्ठा करवाई। इसका सम्बन्ध बागड़ देश के मूलसंघ तथा काष्ठासंघ से रहा। 48 |54
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