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अध्याय -4 जैनधर्म में विभिन्न जातियां और गोत्र
आधुनिक जैन जातियां : ओसवाल, श्रीमाली, पौरवाड़, खण्डेलवाल, परवार, अग्रवाल, पल्लीवाल, हुम्मड़, बघेरवाल, नरसिंहपुरा, जायसवाल, चित्तौड़ा, नागदा, धरकट, श्रीमोड़ आदि
इनकी उत्पत्ति, उत्पत्ति का कारण, उत्पत्ति का समय, इनके विभिन्न गोत्र, स्थान, व्यक्ति व कुल के कारण।
जैन धर्म में विभिन्न जातियां और गोत्र : अन्य जातियों की भांति मालवा में जैन जाति के व्यक्तियों का भी बाहुल्य है। साथ ही इस जाति के व्यापारियों का मालवा के आर्थिक विकास में भी विशेष योगदान रहा है। मालवा की प्रमुख जैन जातियों के संबंध में यहां विचार किया जायेगा। ये जातियां मालवा ही नहीं वरन समस्त भारत में पाई जाती हैं।
(1) ओसवाल : ओसवालों की उत्पत्ति मारवाड़ के ओसिया नामक गांव में हुई। इनकी उत्पत्ति के विषय में यह कथा प्रचलित है कि यहां के निवासी अत्यधिक मांस मदिरा का सेवन करते थे। इसी समय वहां जैनाचार्य रत्नप्रभसूरि का आगमन हुआ। जैनाचार्य ने इन सब व्यक्तियों की यह बुरी आदत छुड़वाने का विचार किया। राजा उप्पलदेव के एक ही पुत्र था। अपनी माया से इन जैनाचार्य ने राजकुमार को सर्पदंश करवा दिया। सारे राज्य में हा-हा कार मच गया। राजकुमार को श्मशान घाट पर ले जाया गया। ठीक इसी समय रत्नप्रभसूरि का शिष्य इन विलाप करते हुए लोगों के पास आया और बोला कि यदि आप सब हमारे गुरु महाराज का कहा माने तो आपके राजकुमार पुनः जीवन पा सकते हैं। सभी व्यक्तियों ने तुरन्त स्वीकार कर लिया। अर्थी को आचार्य रत्नप्रभसूरि के पास लाया गया। आचार्य ने अपनी शर्त रखी कि सभी मांस मदिरा छोड़कर सात्विक जीवन व्यतीत करेंगे तथा जैनधर्म का पालन करेंगे। सभी उपस्थित व्यक्तियों ने यह स्वीकार कर लिया। आचार्य रत्नप्रभसूरि ने अपनी माया हटाली
और राजकुमार जीवित हो गया। इस प्रकार राजा सहित समस्त औसिया निवासी जैनधर्म स्वीकार कर ओसवाल कहलाये। 1421
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