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पास कुछ सनदें देखी थी। किन्तु वे सनदें अब अप्राप्त है। शायद वे नष्ट हो गई हो? ऐसा भी उनसे विदित हुआ कि यहां पहले एक शास्त्र भण्डार भी था जिसका एक ट्रस्ट भी था। किन्तु उसका क्या हुआ? कोई जानकारी नहीं मिलती।
__सिन्धिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान, विक्रम विश्वविालय, उज्जैन में हजारों की संख्या में विभिन्न विषयों से सम्बन्धित हस्तलिखित तथा प्रकाशित ग्रन्थ संग्रहित हैं। इस विशाल संग्रहालय में जैनधर्म से सम्बन्धित भी अनेक हस्तलिखित ग्रन्थ तथा प्रकाशित ग्रन्थ विद्यमान है। जैनधर्म से सम्बन्धित ग्रन्थों की संख्या लगभग एक हजार है। इस संग्रहालय में जैनधर्म से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ इस प्रकार है- .. . श्रीपालचरित्र, गौरा बादिल चरित्र (चित्तौड़ के गोरा बादल चरित्र) हंसावली चरित्र, पांडव चरित्र, विक्रम चरित्र, शांतिनाथ चरित्र आदि।
भक्तामर स्तोत्र, वीर जितेश्वर स्तोत्र, ऋषिमंडल स्तोत्र, भक्तामर स्तोत्र, वृत्ति, पार्श्वनाथ स्तोत्र, कल्याण मंदिर स्तोत्र, त्रिपुरादेवी स्तोत्र आदि।
शीलवती कथा, शुक्तावली बालकथा, रोहिणी कथा, मोनेएकादशी कथा, नवकार रासकथा, पालगोपाल कथा, गुणावली कथानक, मेसतेरसी कथा, दीतवारनी कथा, दंतमंजरी कथा आदि।
. उत्तराध्ययसूत्र तत्वार्थराह, भगवतीसूत्रवृतिसमेत, वाक्यप्रकाश, नवतत्वप्रकरण, आराधना, जीवप्रचार प्रकरण, दशप्रश्न नियुक्ति, तत्वार्थ टीका, महावीर स्तवन, आचारांग तपोविधि, कल्पसूत्र, योगशास्त्रचतुर्थप्रकाश पर्यंत, कर्मग्रंथसूत्र, समाधि तंत्र, समवायांगसूत्र, चूड़ामणि ज्योतिषागर, सप्तशती, चैत्यवंदन, त्रिषष्टिश्लाका पुरुष विचार, विवेकचिंतामणि आदि।
.. अंजनानो रास, धीरावली, हरिबलरास, नलदमयंति विवाह, रसलहरी (हिन्दी) कुमारपालरास आदि।
. इसी प्रकार के और भी अनेक हस्तलिखित ग्रन्थ इस संग्रहालय में संग्रहित हैं। इनमें अनेक ग्रन्थ तो पूर्ण एवं अच्छी स्थिति में है कुछ ग्रन्थ अपूर्ण है। अथवा कुछ ग्रन्थों के आदि के पृष्ठ उपलब्ध नहीं है तो कुछ के अंतिम पृष्ठ उपलब्ध हैं। किसी-किसी ग्रन्थ का तो केवल एक या दो ही अध्याय उपलब्ध है। फिर भी इस संग्रहालय में अनेक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है जो शोध के लिये उपयोगी है। .. इसके अतिरिक्त जैसा कि ऊपर कहा जा चुका है कि उज्जैन दिगम्बर भट्टारकों की गादी थी, तो उसके तारतम्य में यहां साहित्य लेखन का कार्य भी होना चाहिये। यद्यपि भट्टारकों की परम्परा हमें यहां 11वीं शताब्दी तक मिलती हैं किन्तु जो ग्रन्थ उज्जैन में लिखे गये अथवा प्रतिलिपिबद्ध किये गये थे उसके
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