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अनुसार गयासुद्दीन बादशाह के मंत्री गोपाल ने करवाया था। इससे यह स्वतः ही सिद्ध हो जाता है कि तालनपुर में सं.612 का जो लेख बताया गया वह वास्तव में सं.1612 का है। प्रारम्भ का अंक 1 प्रक्षाल क्रिया के परिणामस्वरूप घिसकर साफ हो गया होगा।
(26) बनेड़िया : यह स्थान इन्दौर से 28 मील, देपालपुर से 2 मील तथा चम्बल स्टेशन से 14 मील की दूरी पर स्थित है। प्रत्येक मौसम में मोटरों का आवागमन चालू रहता है। यहां के मंदिर को कोई यति उड़ाकर लाया था, ऐसा कहा जाता है। इस तीर्थ की विशेष जानकारी इस प्रकार है:
(1) शांतिनाथ भगवान की वेदी में कुल 34 प्रतिमाएं हैं जिनमें एक काली प्रतिमा है जो सं.1276 की है।
(2) मूर्तियों पर सं.1548 के लेख से विदित होता है कि इनकी प्रतिष्ठा श्रीजीवाजीराव पापड़ीवाला ने कराई।
(3) मूलनायक अजिनाथ की वेदी में 6 अन्य प्रतिमाएं हैं। (4) पार्श्वनाथ की वेदी में 29 प्रतिमाएं हैं जिनमें सं.1548 के लेख है।
(5) आदिनाथ की वेदी में कुल आठ प्रतिमाएं हैं जिनमें से तीन प्रस्तर व 5 अष्ठधातु की है।
(6) सभामण्डप में पार्श्वनाथ की वेदी में एक प्रतिमा है।
इस मंदिर का जीर्णोद्धार सं.1961 में हुआ था। यह दिगम्बर मतावलम्बियों का तीर्थस्थल है।
(27) मल्हारगढ़ : इसका पुराना नाम हसनगढ़ है। यह पश्चिमी रेलवे के मुंगावली स्टेशन से 15 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। तारणपंथ के प्रवर्तक तारण स्वामी का विशाल स्मारक है जिनका यहां वि.सं.1572 की ज्येष्ठ कृष्ण 6 को हुआ था। उन्होंने यही 14 ग्रन्थों की रचना की थी। तारणपंथ में मूर्तिपूजा का निषेध है। वैत्रवती नदी से 112 कि.मी. दूर निश्रेयी (निसईजी) है। ग्राम में एक मंदिर है जिसमें सेठ जीवराज पापड़ीवाला द्वारा सं.1548 वि. में प्रतिष्ठित अनेक बिंब है जिनमें पार्श्वनाथ के पद्मासनस्थ दो विशाल बिंब श्वेत पाषाण विनिर्मित मुख्य है। ये वहीं पापड़ीवाल प्रतीत होते हैं जिन्होंने बनेड़िया जिला इन्दौर में मूर्तियों की प्रतिष्ठा करवाई थी। यह तारण पंथियों का तीर्थस्थल है।
प्राचीन और उत्तर मध्यकालीन प्रसिद्ध जैनतीर्थ स्थानों का परिचय उपर्युक्तानुसार दिया गया है। इसके अतिरिक्त कुछ और भी स्थान है जिनको भी जैन मतावलम्बी अपना तीर्थ स्थान मानते हैं किन्तु ये पर्याप्त अर्वाचीन प्रतीत हते हैं अथवा ऐतिहासिक दृष्टिकोण से वे कोई विशेष महत्त्व नहीं रखते केवल
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