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परम पूज्य आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
- एड० अनूप चन्द्र जैन, फिरोजाबाद
परम पूज्य अध्यात्मयोगी श्रमणाचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर जी द्वारा लौकिक अध्ययन एवं संक्षिप्त परिचय
18 दिसम्बर, 1971 भिण्ड (मध्य प्रदेश)
राजेन्द्र कुमार जैन (लला)
'रूर' जिला - भिण्ड (म० प्र०)
सेठ श्री रामनारायण जी जैन
श्राविका रत्न श्रीमती रत्तीबाई जी जैन
कक्षा 10वीं तक (भिण्ड व रूर, ऊमरी विद्यालय में)
16 नवम्बर 1988, (17 वर्ष की आयु में)
11 अक्टूबर 1989, भिण्ड (म० प्र०)
जन्म
नाम
गृहग्राम
जनक
जननी
लौकिक शिक्षा
ब्रह्मचर्य व्रत क्षुल्लक दीक्षा
ऐलक दीक्षा
मुनि दीक्षा
आचार्य पद
शिक्षा/ दीक्षा गुरु
संयमी - सृजन
साहित्य सृजन
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स्वरूप देशना विमर्श
19 जून 1991, पन्ना (म० प्र०)
21 नवम्बर 1991, तीर्थक्षेत्र श्रेयांसगिरि, सलेहा (पन्ना) नामकरण - मुनि 108 श्री विशुद्ध सागर जी महाराज
31 मार्च 2007 (महावीर जयन्ती), औरंगाबाद (महाराष्ट्र)
जीवन-बिन्दु
दिगम्बर जैन श्रमण-संस्कृति के सम्प्रति नामचीन अध्यात्म योगियों की श्रंखला में परम पूज्य अध्यात्म योगी श्रमणाचार्य 108 श्री विशुद्ध सागर जी महाराज की कीर्ति पताका सम्प्रति साहित्य संसार में समग्र रूप से फहरा रही है ।
परम पूज्य श्रमणाचार्य 108 श्री विराग सागर जी महाराज 14 दिगम्बर मुनि एवं ब्रह्मचारिगण अर्धशतक; आध्यात्मिक कृतियाँ
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