________________
श्रीमूलाचार जी- श्री वट्टकेराचार्य जी (घ) जिण वयणमोसहमिणं.
सव्वदुक्खाणं ॥95 | स्वरूप देशना 279, (21) श्री तत्त्वसार जी- ................ (क) थक्के मणसंकप्पे..
जोईणं ||29 || स्वरूप देशना 167, (22)श्रीद्रव्यसंग्रह जी- श्री नेमिचन्द सिद्धान्तचक्रवर्ती जी (क) सद्दोबंधो...........
पज्जाया |16 || स्वरूप देशना 191, (23) श्रीवैराग्य शतक जी- श्री भर्तृहरिजी (क) कदा स्वयंभू...........
दिगम्बरा ||स्वरूप देशना 191, (24)श्री पुरुषार्थ सिद्धयुपायजी- श्री अमृतचन्द्र जी (क) निश्चयमिह ...........
सर्वेऽपिसंसारः ॥ स्वरूप देशना 202, (25)श्री आत्मानुशासन- श्री गुणभद्राचार्य जी (क) पुरागर्भादिन्द्रो......
हतविधेः || स्वरूप देशना 205, श्री आत्मानुशासन- श्री गुणभद्राचार्य जी (क) परांकोटि.....यस्तपोविषयाग्या ॥
स्वरूप देशना 387, (26)श्री रा० प्रतिक्रमण- (क) हादुठ्ठ कयं हा...वेदन्तो ॥5॥ स्वरूप देशना 208, (27)श्री तत्त्वार्थ सूत्र जी- श्री उमास्वामी आचार्य (क) जीव भव्या भव्यत्वानि
च ॥2/7 || स्वरूप देशना 218, श्री तत्त्वार्थ सूत्र जी- श्री उमास्वामी आचार्य (ख) बंधेऽधिको
पारिणामिकौ च ॥ स्वरूप देशना 325, (28)श्री ज्ञानार्णव- श्री शुभचन्द्राचार्य जी (क) धर्मनाशे....प्रकाशने ॥15॥
स्वरूप देशना 222, . (29)श्री अमित गति श्रावकाचार- श्री अमितगतिजी (क) वाणी मनोरमा.......
मौनमुज्जबलम् ॥4 || स्वरूप देशना 223, (30)श्री सागार धर्मामृत- पं० श्री आशाधर जी (क) प्राणान्तेऽपि........
भवे भवे ||52 || स्वरूप देशना 312, . (31) श्री परमात्म.प्रकाश जी- श्री योगीन्दु देव जी (क) अन्यथा वेद.....चान्यथा ॥
स्वरूप देशना 376, (32)श्री कार्तिकेयानुप्रेक्षा- श्री कार्तिकेय जी (क) ण य को वि...... कुणदि ॥319 ॥ स्वरूप देशना विमर्श
-219)
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org