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इस प्रकार मंगलाचरण के माध्यम से शुभ कार्यों द्वारा जीवन को भी मंगलमय बनाने का मंगल संकल्प कर स्वयं को कृतार्थ करें। संदर्भ ग्रंथ सूची1. स्वरूप देशना, पृष्ठ - 7 2. पद्मपुराण, 5/206 3. स्वरूप देशना, पृष्ठ-20 4.. स्वरूप संबोधन परिशीलन, पृष्ठ- 19 5. स्वरूप देशना, पृष्ठ-21 6. अनगार धर्मामृत, 1/1 7. स्वरूप संबोधन परिशीलन, पृष्ठ-13 8. तिलोयपण्णत्ती, 1/29, षट्खण्डागम, 1/4 9. तिलोयपण्णत्ती, 1/8 10. संस्कृत हिन्दी शब्द कोश, पृष्ठ- 759 11. जैन लक्षणावली,3/902, तिलोयपण्णत्ती, 1/14, वृहत्क.भा.,809 12. षट्खण्डागम, 1/34 13. सहस्रनाम, 8/12 14. विनय पाठ-24 15. विनय पाठ-25 16. प्रतिष्ठा पराग, पृष्ठ- 31 17. षट्खण्डागम, पुस्तक प्रथम, पृष्ठ- 40 18. षट्खण्डागम, पुस्तक प्रथम, पृष्ठ- 40 19. विनय पाठ- 23 20. विनय पाठ-24 21. प्रतिष्ठा पराग, पृष्ठ- 31
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स्वरूप देशना विमर्श
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