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कर अध्यात्म को न्याय से प्रतिपादित कर स्वरूप की प्राप्ति के लिए स्वात्म-संबोधन ही किया है। कृति को पारायन कर ऐसा लगता है, कि प्रकृत-कृति आचार्य भगवन ने अपने आयु के उत्तरकाल में स्वयं को दिग्दर्शन करने के लिए ही प्रणयन की हो, इसलिए यह स्वरूप-संबोधन' है। अध्यात्म के रहस्यमयी अर्थों को न्याय-तर्क की कठिन परिभाषाओं को अपनी सामान्य भाषा में लिपिबद्ध किया है। यह ग्रन्थ 25 श्लोक प्रमाण है। कई प्रतियों में एक श्लोक अधिक भी आया है, जिसका उल्लेख देशनाकार ने भी किया है। 4. स्वरूप-देशना और देशनाकार आचार्य विशुद्ध सागर जी ___ महाराज- एक दृष्टि
अवक्तव्य गूढ विद्या (अध्यात्म) पर वक्तव्य देने वाले, 'स्वरूप-संबोधन' के देशनाकार, ‘स्वरूप-देशना' के कृतिकार, अध्यात्मयोगी युवा दिगम्बरश्रमणाचार्य मम दीक्षा शिक्षा गुरु विशुद्ध सागर जी ने इस कृति पर इन्दौर (म० प्र०) स्थित समवशरण मंदिर में देशना देकर तत्त्व-बुभुत्सु जिवों पर परम उपकार किया है।पूर्व में आचार्य भगवन् ने स्वरूप-संबोधन पर परिशीलन लिखकर तत्त्व जगत् में तत्त्व मनीषा में तत्त्वज्ञ विद्वानों को ही नहीं, अपितु भिन्न दार्शनिक नैय्यायिकों को भी ग्रंथ की अतल गहराई, मार्मिकता, सिद्धान्त, न्याय आदि पर सोचने पर विवश किया था। जिस पर त्रिदिवसीय राष्ट्रीय विद्वत संगोष्टी 25 से 27 जून 2010 तक आयोजित हुयी थी। इतना ही नहीं अपितु एक आचार्य महाराज ने परिशीलन पढ़ कर कहा कि इस छोटे 25 श्लोक प्रमाण ग्रन्थ में भी इतना रहस्य भरा है। यह तो देशनाकार की वाणी का, शैली का कमाल है कि उन्होंने बूंद-बूंद से सिन्धु की अनुभूति करवायी, 'गागर में सागर' भर दिया है। यह 'स्वरूप देशना' आचार्य विशुद्ध सागर जी की 25वीं कृति है। देशनाकार का स्व-पर दर्शन एवं सिद्धान्त का तलस्पशी ज्ञान पूर्व की अन्य कृतियों से ज्ञात होता है, वही छटा इस कृति में झलकती है। देशनाकार अपनी देशना की प्रांजलता से बालक युवा-वृद्ध को भी न्याय-अध्यात्म की कठिन गूढ़ विद्या सहजता से आत्मसात करवा देता है।तार्किक, मार्मिक देशना सबके मन को छू जाती है और श्रोताओं को अपनी गलतियों पर सोचने को मजबूर करा देती है। देशनाकार की अलौकिक शैली आबालवृद्धों को कीलीत सा कर, शांत चित्त होकर देशना का पान करने को प्रेरित कर देती है। शब्द-सौष्ठव की लाघवता, योग्य शब्द संयोजना, जगह-जगह पर मार्मिक संबोधन, छंद-अलंकार का प्रयोग देशना को अधिक प्रभावशाली बनाता है। समय-समय पर प्रांतिक-भाषा बुंदेली-ब्रज आदि का प्रयोग भी प्रभावी देशना का (94
-स्वरूप देशना विमर्श
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