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नेमिनाथजन्माभिषेकः • ६७ चउसट्ठि सुराहिव सुरगिरिम्मि, पइं न्हवइं देव पंडगवणम्मि । दसधणुपमाणु गयमोह-माणु, कुमरत्तणि निज्जिउ पंचबाणु ॥४|| पई पसूउवाडु कलुणं रुयंतु, मेल्हाविउ मरणु समायरंतु । वररुव-वन्न-लावन्न-पुन्न, को मेल्हइ पइजिम्बरायकन्न ॥५॥ उज्जितमहीहरि सिहरि गंतु, सावणसियछट्ठिहिं दिक्खवंतु । चउपन्नदिवस छउमत्थ सामि, विहरीउ महीयलि भवविरामि ॥६॥ आसोयअमावस नाणु देव, उप्पाडइ सुरवरविहियसेव । अट्ठारससमण सहस्स सार, चालीससहस समणीण वार ||७|| इगहत्तरिसहससणाहु लक्खुउ, सावग जिणपवयणि लद्धलक्खु । छत्तीससहस अन्नु तिन्नि लख, साविय कम्मक्खयबद्धकक्ख ॥८॥ वासाण सहसु सव्वाउ हूउ, पडिबोहिउ भवियणु अइपभूउ । रेवयगिरि निम्मलनाणजुत्तु, आसाढसियट्ठमि सिद्धि पत्तु ॥९॥ हयमोहनिसायर करुणासायर, सायर जिणपहसूरिसुय । बावीसमजिणवर नयनरसुरवर, भवि भवि तुह पय सरणु हुय ॥१०॥
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