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________________ आगम (२८-वृ) प्रत सूत्रांक [१६] ||५६ -८२|| दीप अनुक्रम [७४ -१०२] “तन्दुलवैचारिकं” - प्रकीर्णकसूत्र-५ (मूलं+अवचूर्णिः) मूलं [१६... ] / गाथा ||५६-८२|| मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.....आगमसूत्र -[ २८ ], प्रकीर्णकसूत्र - [५] “तंदुलवैचारिकं” मूलं एवं विजयविमल गणि कृता अवचूर्णिः तं. वै. प्र. ॥ ३५ ॥ Jass Education वियं मा णं उन्हें माणं सीयं मा णं वाला मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं चोरा मा णं दंसा [पृष्ठकरण्डकादिगणमा णं मसगा मा णं वाइ यपित्तियसंभियसंनिवाइयविविहा रोगायंका फुसंतुत्तिकट्टु एवंपियाई अधुवं अनिययं असासयं चयावचइयं विष्पणासधम्मं पच्छा व पुरा अवस्सविप्पचयवं ॥ एअस्सविना सू. १६ याई आउसो ! अणुपुवेणं अट्ठारस्स य पिट्टकरंडगसंधिओ वारस पंसलिया करंडा छप्पंसलिए कडा बिहत्थिया कुच्छी चउरंगुलिया गीवा चउपलिया जिन्भा दूपलियाणि अच्छीणि चकवाल सिरं बत्तीसं दंता सत्तंगुलिया जीहा अजुट्ठपलियं हिययं पणवीसं पलाई कालिजं दो अंता पंचवामा पण्णत्ता, तंजा-थूलते प १ तणुयंते य २, तत्थ णं जे से धूलंते तेण उच्चारे परिणमइ, तत्थ णं जे से तणुयंते तेणं पासवणे परिणमइ, दो पासा पण्णत्ता, तंजहा बामे पासे दाहिणपासे य, तत्थ णं जे से वामे पासे से सुहपरिणामे, तत्थ णं जे से दाहिणे पासे से दुहपरिणामे ॥ आउसो ! इमंमि सरीरए सट्टि संधिसयं सत्तुत्तरं मम्मसयं तिन्नि अद्विदामसयाई नव हारुसयाई सत्त सिरासयाई पंच पेसी|सयाई नव धमणीओ नवनउई व रोमकृवसयसहस्साई विणा केसमंसुणा सह केसमंसुणा अजुट्ठाओ | रोमकृवकोडीओ । आउसो ! इमंमि सरीरए सट्टी सिरासयं नाभिप्पभवाणं उडगामिणीणं सिरमुवगयाणं जाओ ? रसहरणीओत्ति वुञ्चन्ति जाणंसि निरुवघाएणं चक्खुसोयघाणजीहाबलं च भवइ, जाणं सि उवघाएणं चक्खुसोयघाणजीहाबलं उवहम्मर | आउसो ! इममि सरीरए सहिसिरासयं नाभिप्प Fur Prate & Pemonal Use Only ~72~ ॥ ३५ ॥ ainelibrary.org
SR No.004150
Book TitleAagam 28 V TANDUL VAICHAARIK Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages117
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_tandulvaicharik
File Size34 MB
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