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________________ आगम (४५) अनुयोगद्वार”- चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्ति:) .............. मूलं [१३४] / गाथा ||१००...|| मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [४५], चूलिकासूत्र - [२] "अनुयोगद्वार" मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१३४] अनुयो. मलधारीया SC वृत्तिः उपक्रमे प्रमाणद्वारं ॥१६२॥ गाथा: ||-II हिआ इ वा सहसहिआ इ वा उढरेणू इ वा तसरेणू इ वा रहरेणू इ वा, अट्ठ उसहसण्हिआओ सा एगा सहसण्हिआ, अट्ठ सहसण्हिआओ सा एगा उड्डुरेणू, अट्ट उतरेणुओ सा एगा तसरेणू, अट्ट तसरेणूओ सा एगा रहरेणू, अट्ठ रहरेणूओ देवकुरुउत्तरकुरूणं मणुआणं से एगे वालग्गे, अट्ट देवकुरुउत्तरकुरूणं मणुआण वालग्गा हरिवासरम्मगवासाणं मणुआणं से एगे वालग्गे, अट्ट हरिवस्सरम्मगवासाणं मणुस्साणं वालग्गा हेमवयहेरण्णवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्र हेमवयहेरपणवयाणं मणुस्साणं वालग्गा पुत्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्र पुव्वविदेहअवरविदेहाणं मणुस्साणं वालग्गा भरहएरवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे, अट्ठ भरहेरवयाणं मणुस्साणं वालग्गा सा एगा लिक्खा, अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूआ, अट्ठ जूआओ एगे जवमज्झे, अट्र जवमज्झे से एगे अंगुले । एएणं अंगुलाणपमाणेणं छ अंगुलाई पादो बारस अंगुलाई विहत्थी चउवीसं अंगुलाई र दीप अनुक्रम [२५७-२७०] ॥१६२॥ गुलाणपमाण अह जुआओ एगेजबालागा सा एगा लियाणं मणुस्साणं से एक ~327~
SR No.004147
Book TitleAagam 45 ANUYOGDWAR Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages547
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size124 MB
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