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________________ आगम (४५) अनुयोगद्वार”- चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्ति:) .............. मूलं [१३१] / गाथा ||८४...|| ................................ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [४५], चूलिकासूत्र - [२] "अनुयोगद्वार" मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत % सूत्रांक [१३१] ROCCISCALCARCOACHA कालसंजोगे भावसंजोगे। से किं तं दध्वसंजोगे ?, २ तिविहे पण्णत्ते, तंजहा-सचित्ते अचित्ते मीसए। से किं तं सचित्ते?.२ गोहिं गोमिए महिसीहि महिसए ऊरणीहिं ऊरणीए उद्दीहिं उद्दीवाले, से तं सचित्ते । से किं तं अचित्ते ?, २ छत्तेण छत्ती दंडेण दंडी पडेण पड़ी घडेण घडी कडेण कडी, से तं अचित्ते। से किं तं मीसए ?, २ हलेणं हालिए सगडेणं सागडिए रहेणं रहिए नावाए नाविए, से तं दव्वसंजोगे। से किं तं खित्तसंजोगे?, २ भारहे एरवए हेमवए एरण्णवए हरिबासए रम्मगवासए देवकुरुए उत्तरकुरुए पुव्वविदेहए अवरविदेहए, अहवा मागहे मालवए सोरटुए मरहट्ठए कुं. कणए, से तं खेत्तसंजोगे। से किं तं कालसंजोगे?, २ सुसमसुसमाए सुसमाए सुसमदुसमाए दुसमसुसमाए दुसमाए दुसमदुसमाए, अह्वा पावसए वासारत्तए सरदए हेमंतए वसंतए गिम्हए, से तं कालसंजोगे । से किं तं भावसंजोगे ?,२ दुबिहे पपणते, तंजहा-पसत्थे अ अपसत्थे अ । से किं तं पसत्थे ?, २ नाणेणं नाणी दंसणेणं दीप अनुक्रम %95-% [२३८] RRC R ~290~
SR No.004147
Book TitleAagam 45 ANUYOGDWAR Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages547
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size124 MB
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