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आगम
(४५)
प्रत
सूत्रांक
[१२७]
गाथा
||||
दीप
अनुक्रम
[१६१
-१६३]
अनुयोगद्वार”- चूलिकासूत्र -२ (मूलं+वृत्तिः)
मूलं [१२७] / गाथा ||२४||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र - [ ४५], चूलिकासूत्र [२] "अनुयोगद्वार" मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्तिः
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निष्फण्णे ?, उदइपत्ति मणुस्से उवसंता कसाया खइअं सम्मत्तं खओवसमिआई इंदिआई, एस णं से णामे उदइएउवसमिएखइएखओवसमनिष्कण्णे १, कयरे से नामे उदइएउवसमिएखइएपारिणामिअनिष्फण्णे ?, उदइपत्ति मणुस्से उवसंता कसाया खइअं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइएउवसमिएखइएपारिणामिअनिष्फण्णे २, कयरे से णामे उदइएउवसमिएखओवसमिएपारिणामिअनिप्पण्णे ?, उदइपत्ति मणुस्से उवसंता कसाया खओवसमिआई इंदिआई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उदइएउवसमिए खओव० पारिणा० ३, कयरे से णामं उदइएखइएखओवसमिएपारिणामिअणिष्कपणे ?, उदइपत्ति मणुस्से खइअं सम्मत्तं खओवसमिआई इंदिआई पारिणामिए जीवे, एस णं से नामे उदइएखइएखओवसमिएपारिणामिअनिष्पन्ने ४, कयरे से नामे उवसमिएखइएखओवसमिएपारिणामिअनिष्पन्ने ?, उवसंता कसाया खइअं सम्मतं खओवसमिआई इंदिआई पारिणा
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