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________________ आगम (४५) अनुयोगद्वार”- चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्ति:) ............. मूलं [१२७] / गाथा ||२४|| मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.........आगमसूत्र - [४५], चूलिकासूत्र - [२] "अनुयोगद्वार" मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१२७] गाथा ||१|| कसाया खइ सम्मत्तं खओवसमिआई इंदिआई, एस णं से णामे उपसमिएखइएखओवसमनिष्फपणे ७, कयरे से णामे उवसमिएखइएपारिणामिअनिष्फपणे ?, उवसंता कसाया खइअं सम्मत्तं पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उपसमिएखइएपारिणामिअनिष्फण्णे ८, कयरे से णामे उवसमिएखओवसमिएपारिणामिअनिप्फपणे? उवसंता कसाया खओवसमिआई इंदिआई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे उवसमिएखओवसमिएपारिणामिअनिफण्णे ९, कयरे से णामे खइएखओवसमिएपारिणामिअनिप्फपणे ?, खइ सम्मत्तं खओवसमिआइं इंदिआई पारिणामिए जीवे, एस णं से णामे खइएखओवसमिएपारिणामिअनिप्फपणे १०। एतदप्यौदयिकौपशमिकक्षायिकक्षायोपशमिकपारिणामिकभावपञ्चकं भूम्यादावालिख्य तत आयभावदलयस्योपरितनभावत्रयेण सह चारणायां लब्धात्रयः इत्यादिक्रमेण दशापि भावनीया, एतानेव स्वरूपतो कविवरीषुराह-कयरे से णामे उदइएउपसमिए इत्यादि, व्याख्या पूर्वानुसारतोऽत्रापि कर्तव्या, नवरमयौदपिकक्षायिकपारिणामिकभावत्रयनिष्पन्नः पञ्चमो भङ्गः केवलिनः संभवति, तथाहि-औदयिकी मनुष्य दीप अनुक्रम [१६१-१६३] Jatic ~252~
SR No.004147
Book TitleAagam 45 ANUYOGDWAR Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages547
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size124 MB
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