SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 222
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (४५) अनुयोगद्वार”- चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्ति:) .............. मूलं [१२४] / गाथा ||१८-२३|| मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [४५], चूलिकासूत्र - [२] "अनुयोगद्वार" मूलं एवं हेमचन्द्रसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक वृत्तिः अनुयो मलधारीया उपक्र माधि [१२४] - - दीप अनुक्रम [१५१-१५८] से किं तं तिनामे ?, २ तिविहे पपणत्ते, तंजहा-दवणामे गुणणामे पज्जवणामे असे किं तं दवणामे ?, २ छव्विहे पण्णत्ते, तंजहा-धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थिकाए पुग्गलत्थिकाए अद्धासमए अ, से तं दव्वनामे।किं तं गुणणामे ?, २ पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-वण्णणामे गंधणामे रसणामे फासणामे संठाणणामे । से किं तं वण्णणामे ?, २ पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-कालवण्णनामे नीलवण्णनामे लोहिअवण्णनामे हालिद्दवण्णनामे सुकिल्लवण्णणामे, से तं वपणनामे। से किं तं गंधनामे ?, २ दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-सुरभिगंधनामे अ दुरभिगंधनामे अ, से तं गंधनामे । से किं तं रसनामे ?, २ पंचविहे पण्णत्ते, तंजहा-तित्तरसणामे कडुअरसणामे कसायरसणामे अंबिलरसणामे महुररसणामे अ, से तं रसणामे । से किं तं फासणामे ?, २ अट्टविहे पण्णत्ते, तंजहा-कक्खडफासणामे मउअफा गरुअफा० लहुअफा० सीतफासणामे उसिणफासणामे णिद्धफा० लुक्खफासणामे, से तं फासणामे । से CARRASSES ~221~
SR No.004147
Book TitleAagam 45 ANUYOGDWAR Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages547
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size124 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy