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आगम
(४४)
“नन्दी- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:)
............... मूलं [१७]/गाथा ||८२-८४|| मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[४४], चूलिका सूत्र-[१] "नन्दीसूत्र" मूलं एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रत सूत्रांक [१७]
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दृष्टिवादेपरिकाच
धिकार
सू. ५७
-८४॥
णुओगे ?, २ कुलगरगंडिआओ तित्थयरगंडिआओ चक्कवट्टिगंडिआओ दसारगंडिआओ बलदेवगंडिआओ वासुदेवगंडिआओ गणधरगंडिआओ भद्दबाहुगंडिआओ तवोकम्मगंडिआओ हरिवंसगंडिआओ उस्सप्पिणीगंडिआओ ओसप्पिणीगंडिआओ चित्ततरगंडिआओ अमरनरतिरिअनिरयगइगमणविविहपरियट्टणेसु एवमाइआओ गंडिआओ आघविजंति पण्णविजंति, . से तं गंडिआणुओगे, से तं अणुओगे । से किं तं चूलिआओ ?, चूलिआओ आइल्लाणं चउण्हं पुव्वाणं चूलिआ, सेसाई पुव्वाइं अचूलिआई,से तं चूलिआओ ५।दिट्रिवायस्स णं परित्ता वायणा संखेज्जा अणुओगदारा संखेजा वेढा संखेज्जा सिलोगा संखेजाओ पडिवत्तीओ संखिजाओ निजुत्तीओ संखेजाओ संगहणीओ, से णं अंगठ्याए बारसमे अंगे एगे सुअक्खंधे चोदस पुब्वाइं संखेज्जा वत्थूसंखेज्जा चूलवत्थू संखेजापाहुडा संखेजा पाहुडपाहुडा संखेजाओ पा. हुडिआओसंखेजाओ पाहुडपाहुडिआओ संखेजाई पयसहस्साइं पयग्गेणं संखेजा अक्खरा अणंतागमा अणंतापज्जवा परित्ता तसा अणंता थावरासासयकडनिबद्धनिकाइआ जिणपन्नत्ता भावा
दीप
अनुक्रम [१५०-१५४]]
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