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________________ आगम (४४) “नन्दी'- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्तिः ) ............... मूलं [३७]/गाथा ||७५-८०|| .... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[४४], चूलिका सूत्र-[१] "नन्दीसूत्र" मूलं एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [३७] मतेविषयोमेदा:कालः हास्पृष्टवादि + ७५ -८०|| बोहिअनाणी आएसेणं सव्वं खेत्तं जाणइ न पासइ, कालओ णं आभिणिबोहिअनाणी आएसेणं सबकालं जाणइ न पासइ, भावओ णं आभिणिबोहिअनाणी आएसेणं सव्वे भावे जाणइन पासइ । उग्गह ईहाऽवाओ य धारणा एव इंति चत्तारि । आभिणिबोहियनाणस्स भेयवत्थू समासेणं ॥ ७५ ॥ अत्थाणं उग्गहणमि उग्गहो तह विआलणे ईहा । ववसायंमि अवाओ धरणं पुण धारणं बिंति ॥७६ ॥ उग्गह इक्कं समयं ईहावाया मुहुत्तमद्धं तु । कालमसंखं संखं च धारणा होइ नायव्वा ॥७७॥ पुटुंसुणेइ सदं रूवं पुण पासई अपुढे तु । गंध रसंच फासं च बद्धपुढे वियागरे ॥७८॥ भासासमसेढीओ सदं जं सुणइ मीसियं सुणइ । वीसेढी पुण सदं सुणेइ नियमा पराघाए ॥ ७९ ॥ ईहा अपोह वीमंसा, मग्गणा य गवेसणा । सन्ना सई मई पन्ना, सव्वं आभिणिबोहि ॥ ८० ॥ सेतं आभिणिबोहिअनाणपरोक्खं, [से तं मइनाणं 1॥ (सू०३७) दीप अनुक्रम [१२१ -१२८] १ मत्थार्ण गहणं च उज्य तह वियालणं है । वरसायं च अवार्य धरण पुग धारण विति ॥1॥ इति पाठान्तरापेक्षिणी मूळव्याख्यान ARE manand A miumurary.orm ~370~
SR No.004146
Book TitleAagam 44 NANDISOOTRA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages514
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size114 MB
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