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________________ आगम (४२) “दशवैकालिक”- मूलसूत्र-३ (मूलं+नियुक्ति:+|भाष्य|+वृत्ति:) अध्ययनं [४], उद्देशक [-], मूलं [१] / गाथा ||१५...|| नियुक्ति: [२२९...], भाष्यं [१७...] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[४२], मूल सूत्र-[३] “दशवैकालिक” मूलं एवं हरिभद्रसूरि-विरचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१] दीप तेउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया ससकाइया। पुडवी चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्य सत्थपरिणएणं, आऊ चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढो सत्ता अन्नत्थ सत्थपरिणएणं, तेऊ चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसता अन्नस्थ सत्थपरिणएणं वाऊ चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नस्थ सत्थपरिणएणं, वणस्सई चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्थ सत्थपरिणएणं, तंजहाअग्गबीया मूलबीया पोरबीया खंधबीया बीयरुहा संमुच्छिमा तणलया, वणस्सइकाइया सबीया चित्तमंतमक्खाया अणेगजीवा पुढोसत्ता अन्नत्य सत्यपरिणएणं ॥ से जे पुण इमे अणेगे बहवे तसा पाणा, तंजहा-अंडया पोयया जराउया रसया संसेइमा समुच्छिमा उब्भिया उववाइया । जेसिं केसिंचि पाणाणं अभिकंतं पडिकतं संकुचियं पसारियं रुयं भंतं तसियं पलाइयं आगइगइविन्नाया जे य कीडपयंगा जा य कुंथुपिपीलिया सव्वे बेइंदिया सव्वे तेइंदिया सव्वे चउरिंदिया सव्वे पं. अनुक्रम [३२] ~274~
SR No.004144
Book TitleAagam 42 DASHVAIKAALIK Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2015
Total Pages577
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size134 MB
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