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आगम
(३८/१)
प्रत
सूत्रांक [३५]
दीप
अनुक्रम [39]
" जीतकल्प” मूलं [३५...]
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [३८/१], छेदसूत्र
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- छेदसूत्र -५/१ (मूलं)
भाष्यं [१२१४]
[५/१] "जीतकल्प" मूलं एवं जिनभद्रगणिक्षमाश्रमण विरचितं भयं
केसी गिलियमिवेति अगवा किं कारण? छूटेनी पुणरायती कमाइ भये ॥ ४ ॥ तो मायम्मी निम्मल ण एवं पत्तोंणायारं गिलियम्म अणावारी तस्स नियतीत ॥ ५ ॥ सेसेहिं वियतेजा एग दुग तिने व एप दितो यह विहि आगास ठितो पदेहिं विविपत्तिओ हत्थी ६ ॥ चउरो गहणे एवं अतिकमादी तु या एते आणादी परोऽवि दारं तो पक्खामि ॥ ७॥ आणं सहजणाणं गेंतो से अतिकमति लुटो आणं च अतिकर्म (कं) तो] कस्साऽऽएसा कुणति से सं? ॥ ८ ॥ एगेण कयमकजं करेति उपचा पुणो जण सापाबद्दलपरंपर पोओ संजमतवाणं ॥ ९ ॥ जो जहवा कुणतिमिच्छादिडी ओहु को अणो है। यदेति यमिच्छतं परम्स संक जगेमाणो || १२२० ॥ दुबिहा विराणा जमतो व तह य आयाए। आहाकम्मम्म तत्थ इमा संगमे होति ॥ १ ॥ बद्धेति वप्यसंग गेही य परस्त अप्पणी चेष सजियपि भिन्नदाढोण मुवति निद्धंसो पच्छा ॥ २ ॥ खदे गिद्धे व रूपा सुत्ने हाणी तिमिच्छणे काया परिवरगाण व हाणी कुगति किलेस च किस्संतो ॥ ३॥ पाएणपकिचेण व आहाकम्मं तु भारिर्य होति। एसा आणि तम्हा तू भोत्तमं ॥४॥ अम्भोले गमनादी पृच्छा दव्य काल देस भावे य एवं जयंते उलगा दिता तत्यिमे दोणि ॥ ५ ॥ जह बतादि अभोज जावप चंदो य सूरउदयं च उणा दोणि भये सचित्रं सच्च बोद्धवं ॥ ६॥ जह से दंसणी अरितिच्छा विनासिया रण्णा दिडेऽक्तिरे मुक्का एमेव इदं समोआरी ॥ ७॥ जहाकम्मं भुजति ण पडिकमाए व तस्स ठाणा एमेव अडति मोडो लुकलुको जह कोडी ॥ ८॥ आहाकम्मारं एवमिगं मे समासतो कहित आवती दाग वा चिसोहिमेतसिमं योच्छं ॥९॥ आहाकम्मेपनगुरु आवती दाण होयमच उदेसिपि दुवि आहे व विभागओ चेव ।। १२३० ॥ आहे मासतु आवती दाण होति पुरिमर्द होन्ति विभागुरेसे मुल इमे निष्णि ॥ १ ॥ उद्देश कडे कम्मे एकेक चविहो भने भेदी । कह होति उम्भेदो? इमाहि माहाहि बोच्छामि ॥ २॥ उदेसिय समुदेसि च आदेसिय समाएस एमेन करें चरी कम्मम्मिय होंति चत्तारिं ॥ ३ ॥ जातिमुदेसी पासंटीगं भवे समुदेसो समणार्ण आएसो नियाण समाएसो ॥४॥ उदेसियम लहुओं पतेयं होति चतु ठाणे एमेव कडे गुरुओ कस्मादिम लग लिए गुरुगा ॥ ५ ॥ श्री (उ) लहुमासा गुरुगा गुरुगा लिपि तु सुतवा तबकालेहिं विसिद्धा दाणं तु जतो पक्क्ामि ॥ ६ ॥ मासेपुरिम गुरुमासे होति एगमनं तु । चलए आयाम चउर होय भत्तई ॥ ७॥ पूतीकम्म दुहि देवे मावे व होइ गाय (मावि पुण दुविहं) दम्म उमा दुइ होति ॥ ८ ॥ सुमं वाचादर वा दुविहेय होति ह मुणे बादर पुणरपि दुहिं उबगरणे भत्तपाणे य९ ॥ पण गंधे धूमे सुमेयं एत्थ पन्थि तं युल्लुक्सडियादीण उवगरणे पृतियं होति ॥ १२४० ॥ एवं मासलई तू आवती दाण होति पुरिमर्द डोए लोगे हिंगू संकमण भत्ततीयं ॥ १ ॥ एवं मास तू आवती दाणमेगमसंतु उपकरण भक्तपाणे पूतिस्स लक्खणं यच्छं ॥ २ ॥ सारं सिद्धस्स करेति वावि जं दर्ज से उपरणं भणति खलिदविदीयादी ॥ ३ ॥ संवया चुली उक्खलि डोए तब दही य सो होनि आइकम्मी पूतीकम्मं इमं होति ॥ ४॥ संघियचिक्स सीडाइलवणं एमेष उक्लीययि फड्डनमादी तु जं लोए ॥ ५॥ एवं सतहोतीए दीए वावि संघ दारुणं । अग्मिलयजदि नए डफ याविगत ६ उवगरणति भणितं एतो बच्छामि भतपूर्ति तु डाए दोगे हिंगू संकामण फोडणं चूमे ॥ ७॥ अनडिय जायाणे डागं लोणं व कम्म हिंगुं वा। तं भन्तपाणपूर्ति फोडणं ॥ ८ ॥ सकामे कम्मं तेणेव य भायण कामे (ड) संपूर्ण अहया र नहि होला ॥ ९॥ अंगारगृह चाली वेसण हेडामुहीए में घूमे संपकडे तम्मि जत करेले पूतीर्थ ॥ १२५० ॥ मीसजाय तिहिं जातिगत वितिय पासंडे साहूमी ततियं पनि सिच्छामि ॥ १ ॥ पद तू गुरूतबा काहिं विसिहा गुरुगा होति पाया ॥ २॥ हुए आयामं चउगुए होति च तु मी मणिनं ठपणानं अतो बोच्छं ॥ ३ ॥ उवणाभतं दुहि इत्तर हे चिरवियं इतरलिए पण चिरतलिए होति मास ॥ ४॥ पणगे शिविगई तू लहुमासे दाण होत पुरम इतर चितविए या समासतो लक्खणं यच्छं ॥५॥ [संपादन] हिडने परिवाडिदिए (तिम्) तु गेहे एको दोमुनयोग करेति मिक्लाएं गेहे ॥ ६॥ वितिओ सागादीप देवओगं ( प ) हेकम्मि परेण चत्ये उत्ता इत्ताविया ॥ ७॥ चतुषपरा तु परेण चिरविया जान पुत्रकोटी एवं विपाभिहितं एसो बोच्छामि पाहूदियं ॥ ८॥ सा पाडिया दुवामा बादराय बचाओ उसके एकेका सा भवे दुहि ॥ ९ ॥ सुदुमाए लपण आपत्ती दाण होति णिचिगति गुमायरा आयती दामन १२६० ॥ एवं हुमा तुइमा जह काह अमारि कन्तमाणी उ भणिया तु चेद्ररूपेण देहि अम्मो मह भत्तं ॥ १ ॥ मणिनोडिनोति होही जाया कामिता इमेज सुनि साहू ग एतत्य आरंभो ॥ २ ॥ असुडिया भणती तुज्झवि देमित्ति किति परिहरति कि दाणि उहिस्से साहुपभावेण मामी ॥ ३ ॥ एवं गाऊ तो परिहरती एस होनि ओसका। १०३४मुक्ति दीपरसागर
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