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' [२६] श्री महाप्रत्याख्यान (प्रकीर्णक)सूत्रम्
नमो नमो निम्मलदसणस्स। पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः ।
“महाप्रत्याख्यान” मूलं एवं छाया
[मूलं एवं संस्कृतछाया]
[आदय संपादकः - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा. ।।
(किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.) |
15/01/2015, गुरुवार, २०७१ पौष कृष्ण १०
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मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......आगमसूत्र-[२६], प्रकीर्णकसूत्र- “महाप्रत्याख्यान" मूलं एवं संस्कृतछाया