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________________ आगम (१८) "जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति" - उपांगसूत्र-७ (मूलं+वृत्तिः ) वक्षस्कार [७], ---- --...................--- मूलं [१६२] + गाथा मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [१८], उपांग सूत्र - [७] "जम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति' मूलं एवं शान्तिचन्द्र विहित वृत्ति: श्रीजम्मूद्वीपशा-18 न्तिचन्द्रीया वृत्तिः ॥५१५॥ वक्षस्कारे माससमापकनक्षत्रबृन्द स. १६२ मिअसिरं अहा पुणव्वसू पुस्सो, मिअसिरं चउहस राइंदिआई णेइ अहा अट्ठ णेइ पुणव्वसू सत्त राइंदिआई पुस्सो एग राइंदिअं णेइ, तया णं चउबीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिभट्टर, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे संसि च णं दिवसंसि लेहहाई चत्तारि पयाई पोरिसी भवइ, हेमन्ताण भंते ! तचं मासं कति णक्खत्ता ऐति ?, गोअमा! तिषिण-पुस्सो असिलेसा महा, पुस्लो चोइस राइंदिआई णेइ असिलेसा पण्णरस महा एक, तया ण वीसंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिभट्टर, तस्स गं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि तिष्णि पयाई अटुंगुलाई पोरिसी भवइ । हेमंताण भन्ते ! चउत्थं मास कति णक्वत्ता गति', गोजमा! तिणि ण, तं०-महा पुन्वाफल्गुणी उत्तरफागुणी, महा चउस राइविभाई णेइ पुण्याफागुणी पण्णरस राईदिआई इ उत्तराफग्गुणी एर्ग राईदिलं गेइ, तया णं सोलसंगुळपोरिसीए छायाए सूरिए अशुपरिभट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि तिणि पथाई चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवद । गिम्हाणं भन्ते ! पढम मासं कति णक्खचा ऐति ?, गोअमा! तिणि णक्खत्ता गति-उत्तराफग्गुणी हत्थो चित्ता, उत्तराफरगुणी चउद्दस राइविभाई णेइ हत्थो पण्णरस राइंदिआई द चिसा एवं राइंदिइ, तयाणे दुवालसंगुलपोरिसीए छायाए सरिए अणुपरिभइह तस्सणं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि च णं दिवसंसि लेहवाई तिष्णि पयाई पोरिसी भवइ । गिम्हाणं भन्ते ! दोचं मासं कति णक्षत्ता णेति , गोअमा! तिण्णि णक्खत्ता ति, तं०-चित्ता साई दिसाहा, चित्ता चउद्दस राइंदिआई णेइ साई पण्णरस गइंदिआई णेइ विसाहा एग राइंदिरं गेइ, तया णं अहंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरिभट्टइ, तस्स णं मासस्स जे से चरिमे दिवसे तंसि चणं दिवसंसि दो पयाई अद्वंगुलाई पोरिसी भवइ । गिम्हाणं मन्ते । तच्च मास कति णक्सत्ता ऐति ?, गो०! चत्तारि णक्खता Feed desesesesses ॥५१॥ ~1033~
SR No.004118
Book TitleAagam 18 JAMBUDWIP PRAGYPTI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1097
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size264 MB
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