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________________ आगम (१७) प्रत सूत्रांक [९६-९९] दीप अनुक्रम [१२९ -१३२] “चन्द्रप्रज्ञप्ति” – उपांगसूत्र - ६ ( मूलं + वृत्ति:) प्राभृतप्राभृत [-], मूलं [९६-९९ ] आगमसूत्र [१७], उपांग सूत्र [६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति " मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः प्राभृत [१८], मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित सूर्यप्रज्ञ - सिवृत्तिः ( मल०) ||२६५|| देवी साहसी परियारो पण्णत्तो, पणं तातो एगमेगा देवी अण्णाई चत्तारि २ देवीसहस्साई परिवारं विवित्तए, एवामेव सपुचावरेणं सोलस देवीसहस्सा, सेत्तं तुडिए, ता पभू णं चंदे जोतिंसिंदे जोतिसराया. चंदवसिए विमाणे सभाए सुधम्माए तुडिएणं सद्धिं दिवाई भोग भोगाई भुंजमाणे विहरितए ?, णो इणट्टे ७ समझे, ता कहं ते णो पभू जोतिर्सिदे जोतिसराया चंदवसिए विमाणे सभाए सुधम्माए तुडिएणं सद्धिं दिवाई भोगभोगाई मुंजमाणे विहरितए ?, ता चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो चंदवडिसए विमाणे सभाए सुधम्माए माणवएस चेतियखंभेसु बइरामएस गोलबहसमुग्गएसु वहवे जिणसकथा संणिक्खित्ता चिट्ठति, ताओ णं चंदस्स जोतिसिंदस्स जोइसरण्णो अण्णसिं च बहूणं जोतिसियाणं देवाण य देवीण य अञ्चणिजाओ बंदणिज्जाओ पूपणिखाओ सकारणिजाओ सम्माणणिजाओ कल्लाणं मंगलं देवयं चेतियं पज्जुवासणिज्जाओ एवं खलु णो पभू चंदे जोतिसिंदे जोतिसराया चंद्रवसिए विमाणे सभाए सुम्माए तुडिएणं सद्धिं दिवाई भोग भोगाई भुंजमाणे विहरित्तए । पभू णं चंदे जोतिसिंदे जोतिसराया चंदवडिसए बिमाणे सभाए सुधम्माए चंदंसि सीहासांसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं चउहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं | तिहिं परिसाहिं सत्तहिं अणिएहिं सत्तहिं अणियाहिवतीहिं सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं अण्णेहि य बहूहिं जोतिसिएहिं देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिबुडे महताहतणगीयवायततीतलताल तुडियघणमुई| गपदुप्पवाइतरवेणं दिवाई भोग भोगाई भुंजमाणे विहरितए केवलं परियारणिहीए णो चेव णं मेहुणवत्तियाए।। For Parts Only ~ 537 ~ ९८ प्राभूते तारान्तरं चन्द्रादिदेवी सू ९६-९७ ॥२६५॥
SR No.004117
Book TitleAagam 17 CHANDRA PRAGYAPTI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages602
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_chandrapragnapti
File Size129 MB
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