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________________ आगम (१७) "चन्द्रप्रज्ञप्ति” – उपांगसूत्र-६ (मूलं+वृत्तिः ) प्राभृत [१०], -------------------- प्राभृतप्राभृत [१०], -------------------- मूलं [४३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१७], उपांग सूत्र - [६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति” मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सूत्रांक [४३] कति ?, ता तिणि णक्खत्ता णिति, तं०-उत्तरपोहवता रेवती अस्सिणी, उत्तरापोट्टवता चोइस अहोरत्ते दाणेति, रेवती पण्णरस अहोरते णेति, अस्सिणी एग अहोरसं गेह, तंसिं च णं मासंसि दुवालसंगुलाए पोरि-18|| सीए छायाए सूरिए अणुपरियति, तस्स णं मासस्स चरिमदिवसे लेहत्थाई तिणि पदाई पोरिसी भवति, ता वासाणं चउत्थं मासंकतिणक्खत्ता णेति, ता तिन्नि नक्खत्ता णेंति, तं०-अस्सिणी भरणी कत्तिया, अलास्सिणी चउपस अहोरते णेह, भरणी पन्नरस अहोरत्ते इ, कत्तिया एग अहोरत्तं जेड. तसिं च णं मासंसिसो लसंगुला पोरिसी छायाए सूरिए अणुपरियइ, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिन्नि पयाई चत्तारि अंगुलाई पोरिसी भवइ ।ता हेमंताणं पढमं मासं कह णक्खत्ता ऐति?,ता तिणि णक्खत्ता ऐति, तं०-कत्तिया रोहिणी संठाणा, कत्तिया चोइस अहोरत्तेणेति,रोहिणी पन्नरस अहोरत्ते णेति, संठाणा एग अहोरणेति, तंसि च णं मासंसि वीसंगल पोरिसीए छायाए सरिए अणुपरियति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे तिषिण पदाइं अgl |अंगुलाई पोरिसी भवति । ता हेमंताणं दो मासं कति णक्खता णेति, चत्तारिणक्खत्ताणेंति,तं०-संठाणा अद्दा पुणवसू पुस्सो, संठाणा चोइस अहोरत्ते णेति अद्दा सत्त अहोरत्ते णेति पुणवसू अह अहोरत्तेणेति पुस्से एग अहोरत्तं ति, तंसि च णं मासंसि चउवीसंगुलपोरिसीए छायाएसूरिए अणुपरियति, तस्सणं मासस्स चरिमे दिवसे लेहहाणि चत्तारि पदाई पोरिसी भवति । ता हेमंताणं ततियं मासं कति णक्खत्ता ऐति ?,ता तिषिण णक्खत्ता ऐति, तं०-पुस्से' अस्सेसा महा, पुस्से चोइस अहोरते णेति, अस्सेसा पंचदस अहोरत्तेणेति, %ॐॐॐॐ दीप अनुक्रम [१७] स ~270~
SR No.004117
Book TitleAagam 17 CHANDRA PRAGYAPTI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages602
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_chandrapragnapti
File Size129 MB
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