SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 158
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (१७) प्रत सूत्रांक [२५] दीप अनुक्रम [३९] चन्द्रप्रज्ञप्ति” - उपांगसूत्र- ५ ( मूलं + वृत्तिः) प्राभृत [४] प्राभृतप्राभृत [-] मूलं [२५] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र - [१७] उपांग सूत्र [६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति " मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः सूर्यप्रज्ञसिवृत्तिः ( मल० ) ॥ ७५ ॥ ४ है बाहिं वित्थडा अंतो बट्टा बाहिं पिहुला अंतो अंकमुहसंठिया चाहिं सत्धिमुहसंठिया, उभयोपासेणं तीसे दुवे बाहाओ अवडियाओ भवंति पणयालीसं २ जोयणसहस्साई आयामेणं, दुवे य णं तीसे बाहाओ अणवद्विआओ भवंति, तंजहा - अस्मितरिया चैव बाहा सबबाहिरिया चैव वाहा, सीसे णं सवन्तरिचा वाहा मंदरपद्ययंतेणं छ जोयणसहस्साई तिन्नि य चडवीसे जोयस उच्च दसभागा जोयणस्स परिक्खेवेणं आहियत्ति वएज्जा, तीसे णं परिक्खेवविसेसे कओ आहिवत्तियएच्या १, ता जेणं मंदरस्स पवयस्स परिक्खेवे ते णं दोहिं गुणित्ता दसहिं छित्ता दसहिं भागे हीरमाणे, एस णं परिक्लेव विसेसे आहियत्ति वएज्जा, ता से णं तावक्खेचे केवइयं आयामेणं आहियत्ति वएज्जा?, ता तेसीइ जोयणसहस्साइं तिन्नि तेत्तीखे जोयणसए जोयणतिभागं आहियत्ति वएज्जा, तया णं किंसंठिया अंधकारसंठिई आहिअत्ति वइज्जा ?, ता उड्डी मुहकलंबुयापुप्फसंठाणसंठिया आहियत्ति वएज्जा, अंतो संकुडा वाहिं वित्थडा अंतो चट्टा बाहिं पिहुला अंतो अंकमुहसंठिया बाहिं सत्थिमुहसंठिया उभओ पासेणं तीसे दुवे बाहाओ भवंति, पणयालीस २ जोयणसहस्साई आवामेणं, दुबे व पां तीसे बाहाओ अणवहियाओ भवंति, तंजहा सधन्भंतरिया चैव बाहा सबबाहिरिया चैव वाहा, तीसे णं सबन्धंतरिया बाहा मंदरपचयंतेणं नव जीयणसहस्साई चचारि य छलसीए जोयणसए नव य दसभागे जोयणस्स परिक्खेवे आहियति वएज्जा, ता जेणं मंदरस्स पवयस्स परिक्लेवे तं परिक्खेवं तिहिं गुणित्ता दसहिं छित्ता दसहिं भागे हीरमाणे, एस णं परिक्खेवविसेसे आहियत्ति वएज्जा, तीसे णं सवबाहिरिया बाहा लवणसमुद्दतेण उणउई जोयणसहस्साई अडय अट्टट्ठे जोयणसए चचारि य दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहिए इति वएज्जा, वा एस णं परिक्खेवविसेसे कओ Eucation International For Park Use Only ~157~ ४ प्राभृते तापक्षेत्रप्रमाणं सू २५ ।। ७५ ।।
SR No.004117
Book TitleAagam 17 CHANDRA PRAGYAPTI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages602
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_chandrapragnapti
File Size129 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy