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________________ आगम (१७) प्रत सूत्रांक [२४] दीप अनुक्रम [३८] चन्द्रप्रज्ञप्ति” - उपांगसूत्र - ५ ( मूलं + वृत्तिः) प्राभृत [३], प्राभृतप्राभृत [-] मूलं [२४] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [१७], उपांग सूत्र [६] "चन्द्रप्रज्ञप्ति " मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः ॥ ६३ ॥ सूर्यप्रज्ञ- उज्योति तवेंति पगासेंति, एगे एवमाहंसु ता तिष्णि दीवे तिष्णि समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति०, एगे सिवृत्तिः २ एवमाहंसु २, एगे पुण एवमाहंसु ता अद्धवउत्थे दीवसमुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेंति तवेंति पगासिंति मल०) एगे एवमाहंसु ३, एगे पुण एवमाहंसु ता सत्त दीवे सत्त समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासिंति ४ एगे एव माहंसु ४, एगे पुण एवमाहंसु ता दस दीवे दस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति ४, एगे एवमाहंसु ५, युगे पुण एवंमाहंसु, ता बारस दीवे वारस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति ४, एगे एवमाहंसु ६, एगे पुण एवमाहंसु, बायालीसं दीवे पापालीसं समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति एक (४), एगे एवमाहंसु ७, एगे पुण एवमाहंसु बावन्तरिं दीवे बावन्तरिं समुदे बंदिमसूरिया ओभासंति, एक (४), एगे एवमाहंसु ८, एगे पुण एवमाहंसु ता पातालीसं दीवसतं बाया समुहस्तं चंदिमसूरिया ओभासंति४ एगे एवमाहंसु ९, एगे पुण एवमाहंसु, बावसरिं' समुदसतं चंदिमसूरिया ओभासंति एक (४) एगे एवमाहंसु १०, एगे पुण एवमाहंसु ता बायालीसं दीवसहस्सं बायालं समुहसहस्सं चंदिमसूरिया ओभासंति, एक (४), एगे, एवमाहंसु ११, एगे पुण एवमाहंसु ता बावतरं दीवसहस्सं बाचत्तरं समुदसहस्सं चंदिमसूरिया ओझासंति एक (४) एगे एवमाहंसु १२, वयं पुण एवं बदामो भयण्णं जंबुद्दीवे सबदीवसमुद्दाणं जाव परिक्वेवेणं पण्णसे, से णं एगाए जगतीए सपतो समंता संपरिक्खिसे, सा णं जगती तहेव जहा जंबुद्दीवपन्नत्तीए जाव एवामेव सपुहावरेणं जंबुद्दीवे २ चोइस सलिलासयसहस्सा छप्पन्नं च सलिला सहस्सा भवन्तीति मक्खाता, जंबुदीचे णं दीवे पंचचकभागसंठिता आहितातिवदेज्जा, ता कहं For Parts Only ~ 133~ ३ प्राभृतम् ॥ ६३ ॥
SR No.004117
Book TitleAagam 17 CHANDRA PRAGYAPTI Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages602
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_chandrapragnapti
File Size129 MB
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