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[१६] श्री सूर्यप्रज्ञप्ति (उपांग)सूत्रम्
नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित- सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः
“सूर्यप्रज्ञप्ति " मूलं एवं वृत्ति:
[मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः]
[आद्य संपादक: - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा. ]
(किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह )
पुनः संकलनकर्ता→ मुनि दीपरत्नसागर (M.Com, M.Ed., Ph.D.)
15/01/2015, गुरुवार, २०७१ पौष कृष्ण १०
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मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित आगमसूत्र [१६], उपांग सूत्र [५] "सूर्यप्रज्ञप्ति" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः
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