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________________ आगम (१५) “प्रज्ञापना” – उपांगसूत्र-४ (मूलं+वृत्ति:) पदं [३], --------------- उद्देशक: -, -------------- दारं [४], -------------- मूलं [६२] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१५], उपांग सूत्र - [४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति: प्रत सूत्रांक [६२] Pटर मुहुमअपजत्तया असंखेंजगुणा सुहुमपज्जत्तया संखेजगुणा ।। एएसि णं भंते ! मुहुमपुढचिकाइयाणं वायरषुढविकाइयाण य पज्जचापज्जत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा! सबथोवा वायरपुढविकाइया पज्जतया बायरपुढविकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा मुहुमपुढवीकाइया अप्प० असं० सुहुमपुढषिकाइया पञ्जतया संखेजगुणा॥ एएसिगं भंते ! सुहुमआउकाइयाणं वायरआउकाइयाण य पज्जत्तापजचाणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा, गोयमा! सबथोवा वायरआउकाइया पज्जत्तया बायरआउकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा मुहुमाउकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा मुहुमआउकाइया पज्जचया संखेजगुणा ॥ एएसि गं भंते ! मुहुमतेउकाइयाणं पायरतेउकाइयाण य पजचाजपज्जताणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा?, गोयमा ! सबथोवा वायरतेउकाइया पज्जत्तया वायरतेउकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तया असंखेजगुणा सुहुमतेउकाइया पजत्तया संखेजगुणा ।। एएसिणं भंते सुहुमवाउकाइयाणं बायरवाउकाइयाण य पअचापजताणं कयरे कयरेहितो अप्पा या बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा, गोयमा! सबत्थोवा वायरवाउकाइया पअत्तया बायरखाउकाइया अपजत्तया असंखेजगुणा सुहुमबाउकाइया अपञ्जत्तया असंखेजगुणा सुहुमवाउकाइया पजत्तया संखेजगुणा ।। एएसिणं भंते ! मुहुमवणस्सइकाइयाणं वायरवणस्सइकाइयाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा, गोयमा ! सबथोवा वायरवणस्सइकाइया पजत्तया बायरवणस्सइकाइया अपजत्तया असंखेजगुणा सुहुमवणस्सइकाइया अपजत्तया असंखेनगुणा सुहुमवणस्सइकाइया पजत्नया संखेजगुणा ।। एएसिणं भंते ! मुहमनिगोयाणं वायरनिगो दीप 90020209080928202929092aera अनुक्रम [२६६] Santaratani JNLama ~265~
SR No.004115
Book TitleAagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1227
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size261 MB
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