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________________ आगम (१५) प्रत सूत्रांक [ ४७ ] दीप अनुक्रम [२१७] प्रज्ञापना याः मल य० वृत्ती. ॥ ९५ ॥ पदं [२], मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. “प्रज्ञापना” - उपांगसूत्र - ४ ( मूलं + वृत्तिः ) उद्देशक: [-] दारं [-], मूलं [४७] ... आगमसूत्र [१५], उपांग सूत्र [४] " प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्तिः Education T उक्किन्नंतरविउलगंभीरखायफलिहा पागारहालयकवाडतोरणपडिदुवारदेसभागा जंतसयग्धिमुसलमु संढिपरिवारिया अउज्झा सदाजया सदागुत्ता अडयालकोट्ठगरड्या अडयालकयवणमाला खेमा सिवा किंकरामरदंडोवरविखया लाउलोइयमहिया गोसीसस रसरत्तचंदणद हरदिन पंचगुलितला उवचियचंद कलसा चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागा आसत्तोसत्तविलवडबग्घारियमलदामकलावा पंचवण्णसर ससुर हिमुकपुष्कपुंजीवयारकलिया कालागुरुपवर कुंदुरुकतुरुक धूवमघमचंतगंधुन्याभिरामा सुगंधवरगंधिया गंधवट्टिभूया अच्छरगणसंघसंविकिन्ना दिवतुडियसद्दसंपणाइया पडागमालाउलाभिरामा सवरयणामया अच्छा सण्हा लम्हा घट्टा मट्ठा नीरया निम्मला निष्यंका निकंकडच्छाया सप्पहा सस्सिरिया समिरीया सउज्जोया पासाइया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा एत्थ णं दाणमंतराणं देवाणं पज्जत्तापजचाणं ठाणा पत्रता, तिमुवि लोयस्स असंखे अभागे, तत्थ णं बहवे वाणमंतरा देवा परिवसंति, तंजहा- पिसाया भूया जक्खा रक्खसा किंनरा किंपुरिसा गवइणो महाकाया गन्धवगणा य निउणगंधगीयरइणो अणवन्नियपणवन्नियइसिवाइयभूयवाइयकंदियमहाकंदिया य कुहंडपयंगदेवा चंचलचलचलचित्तकीलणदवप्पिया गहिरहसियगीयणञ्चर वर्णमाला मेलमउडकुंडलसच्छंद विउबियाभरणचारुभूसणधरा सवोउयसुरभिकुसुम सुरइय पलंब सो इंत कंत विहसंतचित्तवणमालरइयवच्छा कामकामा कामरूवदेहधारी णाणाविहवण्णरागवरवत्थ ललंतचित्तचिल्ल (लल) गनियंत्रणा विविदेसिने वत्थगहियवेसा पमुइयकं दप्पकलह के रिकोलाहपिया हासबोलबहुला असिमुग्गरसतिकुंतहत्था अणेगमणिरयणविविहनिज्जुत्तवि चित्तचिधगया महिडिया महज्जुझ्या महायसा महाबला महाणुभागा महासुक्खा हारविराइयवच्छा कडयतुडियर्थभियञ्ज्या संगय कुंडलमट्टगंडयल कन्नपीढधारी For Parts Only ~ 194~ ১৬১৩, ১, ১৩ ১৩৯9,900 999 में २ स्थान पदे व्य न्तरस्थानं सू. ४७ ॥ ९५ ॥
SR No.004115
Book TitleAagam 15 PRAGNAPANA Moolam evam Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2014
Total Pages1227
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size261 MB
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